विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के अनेकों समर्थक छोटे छोटे ठेकेदार बन कर नहीं मिल पाते विभागों के टेंडर रोजमर्रा की जरूरतें तक नहीं करपाते पूरी, खफा होकर पार्टी को होता है भारी नुकसान।
सुभाष ठाकुर*******
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार के दो वर्ष दो माह के कार्यकाल को देखा गया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हर मुश्किलों का सामना करते हुए अपने परायों के द्वारा छोड़े गए ब्रह्मास्त्रों का मजबूती से सामना कर सभी को परास्त कर आगे बढ़ चुके हैं।
प्रदेश से राजीव शुक्ला को हटाकर रजनी पाटिल को हिमाचल में दूसरी बार पार्टी का प्रभारी नियुक्त किया हुआ है। रजनी पाटिल हिमाचल का दौरा करते ही संगठनात्मक मजबूती देने के लिए पूरी तरह से एक्टिव हो चुकी है।
हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा दूसरा जिला मंडी जिला है जहां 10 विधानसभा क्षेत्रों में से 9 विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस की हार हुई है। प्रभारी रजनी पाटिल को यह बेहद गंभीरता से लेना होगा कि मंडी से बीजेपी के गढ़ पर सेंध लगाने के लिए पार्टी को जिले के एक वरिष्ठ नेताओं तथा पार्टी के कर्मठ नेताओं को संगठन तथा कांग्रेस पार्टी की सरकार में एहम जिम्मेवारियां सौंप कर कार्यकर्ताओं के कार्यों को किया जा सके ताकि पार्टी की मजबूती के लिए पार्टी समर्थक घर से बाहर आकर प्रदेश सरकार की योजनाओं का प्रचार कर सके।
ठेकेदार राष्ट्र निर्माता है, ठेकेदारों की कड़ी मेहनत से देश प्रदेश को विकसित किया जाता है। लेकिन जब राजनीतिक दलों द्वारा ठेकेदारों को संगठनों की एहम जिम्मेवारियां सौंपी जाती रही है उन राजनीतिक दलों को अपनी ही पार्टी के कर्मठ समर्थकों का भारी नुकसान झेलने को मिलता रहा है।
जिसका खामियाजा हिमाचल प्रदेश का जिला मंडी में कांग्रेस को वर्ष 2022 के चुनावों में देखने को मिला हुआ है।
पूर्व की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी जिले से संबंधित रहे। कांग्रेस के कई संगठन के पदाधिकारियों ने बीजेपी की सरकार के नेताओं से अपने संबंध बनाकर ठेकदारी चमकाते चमकाते विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने बीजेपी नेताओं को ही खूब चमकाया । रजनी पाटिल को चाहिए कि संगठन में ठेकदारों को एहम जिम्मेवारियां न दे कर सेवानिवृत कर्मचारियों जो वर्षों से पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए हैं उन्हें ब्लॉक स्तर पर संगठन की जिम्मेवारियां सौंपनी चाहिए क्योंकि सेवानिवृत कर्मचारी विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारी भी नहीं जताएगा, और न हीं तो वह पार्टी समर्थकों से भेदभाव करेगा।
जिला अध्यक्षों पर उन्हीं नेताओं को जिला की जिम्मेवारियां सौंपी जाए जो सरकार और संगठन के प्रदेशाध्यक्ष के साथ बेहतर संबंध बना सके , पूर्व में रहे प्रदेश और जिलास्तर के 80 प्रतिशत नेताओं से दूरियां बनाकर नए संगठन की पेशकश करनी होगी तभी कांग्रेस भविष्य के लिए खड़ी हो पाएगी।
कांग्रेस पार्टी का संगठन प्रभावशाली क्यों नहीं होता क्या है इसकी मुख्य वजह ?
कांग्रेस पार्टी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। कई दशकों से कांग्रेस पार्टी में संगठन की नियुक्तियां नेताओं की पसंद के नेताओं को रोपित किया जाता है ताकि समय आने पर वह उनका राजनीतिक निर्माण कर सके।
संगठन में बूथ ,पंचायत ,ब्लॉक तथा जिला स्तर पर सर्वेक्षण करके संगठन की जिम्मेवारी सौंपने से संगठन अधिक प्रभावशाली होगा। संगठन की नियुक्तियां किसी वरिष्ठ नेताओं तथा नेताओं के करीबियों की इच्छाओं से नहीं बल्कि लोकप्रियता वह चाहे बूथ स्तर की हो या ब्लॉक स्तर की हो जिला और प्रदेश स्तर की ही क्यों न हों। यही तो राहुल गांधी का विजन भी शुरू से रहा है।
लेकिन कांग्रेस में पंचायत तथा बूथ स्तर तक प्रदेशाध्यक्ष पर बैठे हुए नेताओं की इच्छाओं से व्यक्ति की नियुक्ति कर दी जाती है भले ही उस व्यक्ति का विरोध पूरी पंचायत में ही क्यों नहीं हो रहा होता है
कांग्रेस पार्टी में जब ऐसे नेताओं को बूथ स्तर पर नियुक्ति दी जिएगा तो वह भी वहीं जमीनी रिपोर्ट अपने आला नेताओं के पक्ष में भेजेगा जबकि धरातल में कुछ और ही घट रहा होता है।जिसमें कारण रिपोर्ट के अनुसार चुनावी परिणाम नहीं आ पा रहे हैं।