ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एआईएफयूसीटीओ) के देशव्यापी आह्वान पर हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचजीसीटीए) का काले बिले लगाकर विरोध प्रदर्शन
शिक्षकों की लंबित मांगों के पूरा न होने एवं देशभर में शिक्षा क्षेत्र की अनदेखी करने के विरोध में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एआईएफयूसीटीओ) ने देशव्यापी आह्वान संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है l हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचजीसीटीए) ने इसी आह्वान पर काले बिले लगाकर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।
एआईएफयूसीटीओ की प्रमुख मांगों में शामिल हैं: यूजीसी ड्राफ्ट रेगुलेशंस 2025 की अस्वीकृति,
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की अस्वीकृति,
एम.फिल और पीएचडी धारकों के लिए अतिरिक्त वेतन वृद्धि,
उच्च शिक्षा संस्थानों में काम करने की स्थिति में सुधार,
सभी रिक्त शिक्षण पदों को नियमित शिक्षकों से भरना।
एचजीसीटीए, जो हिमाचल प्रदेश स्तर पर कॉलेज शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है, वो हिमाचल में कॉलेज शिक्षकों की पदोन्नति की मांग को लेकर संघर्षरत है, इसी के साथ कॉन्ट्रैक्ट–शिक्षकों का वर्ष में दो बार नियमितीकरण, कॉलेज में प्रोफेसर का पद सृजित करना, अध्ययन अवकाश पर पूरा वेतन लाभ देना जैसी प्रमुख मांगों को लगातार सरकार के समक्ष उठाता रहा है l परन्तु केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार का शिक्षकों के प्रति उदासीन रवैया बना हुआ है l यह रोष प्रदर्शन केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा शिक्षक वर्ग एवं शिक्षा के प्रति जिम्मेवारी न निभाने के कारण देश भर के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में किया गया ।
वल्लभ गवर्नमेंट कॉलेज, मण्डी की स्थानीय एचजीसीटीए इकाई ने प्रदेशाध्यक्षा डॉ बनीता सकलानी, प्रोफेसर सीमा शर्मा, सचिव डॉ रितेश वर्मा, कोषाध्यक्ष डॉ दीपाली अशोक, उपाध्यक्ष डॉ राजकुमार जामवाल की अगुवाई में काले बिले लगाकर विरोध दर्ज किया l एचजीसीटीए की प्रदेशाध्यक्षा डॉ बनीता सकलानी ने उच्च शिक्षा के सामने आने वाले दबाव के मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा में निजीकरण, व्यावसायीकरण और केंद्रीकरण के बारे में चिंताओं पर प्रकाश डाला और शिक्षक संघों से इन चुनौतियों का जवाब देने में एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने हाल ही में पारित हिमाचल प्रदेश भर्ती और सेवा शर्तें अधिनियम, 2024 की भी कड़ी आलोचना की, जो कॉलेज शिक्षकों सहित राज्य में 1.3 लाख से अधिक कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अधिनियम संविदात्मक कर्मचारियों के लिए पदोन्नति, वरिष्ठता, पेंशन और अन्य परिणामी लाभों जैसे महत्वपूर्ण लाभों से इनकार करता है, उच्च न्यायालय के कई निर्णयों का खंडन करता है और समान वेतन (अनुच्छेद 14) के लिए समान कार्य जैसी संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है।
अधिनियम के अलावा, शिक्षकों ने अपने समुदाय को प्रभावित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। उन्होंने बताया कि वर्तमान राज्य नीति अध्ययन अवकाश के दौरान वेतन का केवल 40% की अनुमति देती है, एनईपी 2020 के समस्याग्रस्त कार्यान्वयन, और लंबे समय से लंबित विभागीय पदोन्नति समितियों (डीपीसी) जो 10 वर्षों से अधिक समय से अनसुलझी हैं।
एचजीसीटीए ने अपने वकालत के प्रयासों को तेज करने का प्रण लिया है। वे सरकारी अधिकारियों के साथ अधिक सक्रिय रूप से जुड़ने, जागरूकता एसोसिएशन प्रतिकूल नीतियों के खिलाफ अपनी कानूनी चुनौतियों को जारी रखने और कॉलेज के शिक्षकों के लिए अधिक सहायक और न्यायसंगत वातावरण बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसी कड़ी में 6अप्रैल 2025 को एचजीसीटीए का राज्य स्तर का जनरल हाउस प्रस्तावित है जिसमें लंबित मांगों पर संघर्ष की रणनीति तय होगी ।
एआईएफयूसीटीओ द्वारा देशव्यापी स्तर पर 23, 24, 25 मार्च को काले बिले पहनकर विरोध करना, 29 अप्रैल को जंतर मंतर पर विशाल धरना, शिक्षा मंत्री के गृह राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में 27 मई को धरना, एवं 22 जुलाई को प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में धरने का आह्वान देश के कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी शिक्षकों को किया है ।