सुभाष ठाकुर*******
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़क सुरक्षा को बढ़ाने, राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास आवारा पशुओं की बढ़ती चुनौती से निपटने तथा राजमार्गों पर पशु-संबंधी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर पशु आश्रय प्रदान करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है।
कीरतपुर – नेरचौक मंडी – कुल्लू मनाली फोरलेन में सैकड़ों घुमंतू आवारा पशुओं से दुर्घटना होने का जगह जगह खतरा बना हुआ है।
नेशनल हाईवे मंडी मनाली पर पंडोह जरल कॉलोनी के पास बेसहारा गाय को एक ट्रक ने टक्कर मार कर घायल कर भाग गया है। सड़क पर दर्जनो गाय बैल इकट्ठा हो कर जगह जगह घूमतें रहते हैं।
प्रशासन भी कोई सुध नही लेता वही गाडी की टक्कर से गाय घायल हो गई है ट्रक ड्राइवर गाय को घायल करके वहां से भाग गया । गाय की दोनों टांगें टूट गई है, बजरंग दल के सदस्यों को इसकी सूचना दी गई बजरंग दल के सदस्यों ने इको फर्स्ट ट्रीटमेंट दे दी गई मगर गाय का खड़ा होना बहुत मुश्किल हो गया फिर गाय को सदस्यों द्वारा फोर व्हीलर के माध्यम से रती वलह गौसदन मे छोड़ा गया है समाजसेवी सौरभ गुलरिया ने बताया कि कल इसका इलाज भंगरौटू हॉस्पिटल से डॉक्टर द्वारा किया जाएगा आपको बता दें कि बजरंग दल के सदस्य कई मवेशियों का रेस्क्यू कर चुके हैं ।
ऐसे धर्म के कार्या को करने के लिए कई पंचायतों के प्रतिनिधियों और पंचायत सदस्यों द्वारा कन्नी काट कर दूरियां बना रखते हैं। समाजसेवी कार्य कर्ता इस पुन्य के कार्य को अंजाम देते है । समाजसेवी ससथाओ ने जिला प्रशासन से माग की है इन आवारा पशु पर लगाम लगाई जाए । पशु मालिको ने टैग लगे पशु भी खुले आम घूमते है यह आवारा पशु लोगों की खेतों का भारी नुकसान करते है।
पत्रकारों के फोन नहीं बल्कि पत्रकारिता की आड़ में शामिल ठेकेदारों तक सीमित हुए एनएचएआई अधिकारी।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़क सुरक्षा को बढ़ाने, राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास आवारा पशुओं की बढ़ती चुनौती से निपटने तथा राजमार्गों पर पशु-संबंधी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर पशु आश्रय प्रदान करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में इस योजना का किसी को मालूम नहीं कि राजमार्गों पर पशु आश्रय कितने और कहां कहां बनाए हुए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से जब इस योजना की जानकारियों से संबंधित संपर्क किया जाता है तो आंकड़े साझा करना तो दूर लेकिन एनएचएआई अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं।