हिमाचल प्रदेश में भूकंप तैयारियों पर 9वां राज्य स्तरीय मेगा मॉक अभ्यास सफलतापूर्वक आयोजित

अमर ज्वाला //शिमला

हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से आज प्रदेश भर में 9वां राज्य स्तरीय मेगा मॉक अभ्यास आयोजित किया। यह मॉक अभ्यास घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (आईआरएस) के राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार किया गया, जिसे राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा 7 सितंबर 2017 को औपचारिक रूप से अधिसूचित इंसिडेंट रिस्पांस टीमें गठित करने के बाद से अपनाया गया है।

इस मेगा मॉक अभ्यास को तीन प्रमुख चरणों में आयोजित किया गया। 27 मई 2025 को ओरिएंटेशन और कोऑडिनेशन कार्यशाला, 3 जून 2025 को टेबल-टॉप अभ्यास तथा 6 जून 2025 को वास्तविक तौर मैगा मॉक अभ्यास का आयोजन शामिल है। इस अभ्यास में राज्य के सभी जिलों में कुल 109 सिमुलेशन साइट्स पर गतिविधियां आयोजित की गईं। जिनमें बिलासपुर में 4, चंबा में 9, हमीरपुर में 10, कांगड़ा में 17, किन्नौर में 7, कुल्लू में 7, लाहौल-स्पीति में 9, मंडी में 12, शिमला में 12, सिरमौर में 7, सोलन में 9 तथा ऊना जिला में 6 साईट्स शामिल हैं।

मॉक ड्रिल के दौरान विभिन्न भूकंप-जनित आपदा परिदृश्यों जैसे ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (गलोफ), भूस्खलन, चट्टानों का गिरना, बांध टूटना, इमारतों का ढहना, अस्पतालों की आपातकालीन प्रतिक्रिया, अग्निकांड, औद्योगिक दुर्घटनाएं, तेल रिसाव और बड़े हादसों की संभावनाओं वाले इकाइयों (एमएएच) पर आधारित स्थितियों का अभ्यास किया गया।

इस अभ्यास में राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों जैसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीएमए), भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), दीपक प्रोजेक्ट और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने सक्रिय रूप से भाग लिया। राज्य स्तर पर होमगार्ड, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीएमए), अग्निशमन सेवा, पुलिस और अन्य विभागों ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर सफल समन्वय में अभ्यास को अंजाम दिया।

अभ्यास के उपरांत हुई डी-ब्रीफिंग बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व-आपदा प्रबंधन) के.के. पंत ने की। उन्होंने कहा कि हम जितना अधिक शांति में पसीना बहाएंगे, युद्ध में उतना ही कम खून बहेगा। उन्होंने सभी विभागों से आग्रह किया कि वे अभ्यास के दौरान पाई गई कमियों को दूर करें और कार्रवाई सुनिश्चित करें।

जिलों में नियुक्त प्रेक्षकों ने अपने विस्तृत सुझाव दिए और सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान की। सभी जिलों के उपायुक्तों, जो कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष भी हैं, ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा अभ्यास के दौरान पाई गई खामियों को दूर करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

इस अवसर पर बोलते हुए निदेशक एवं विशेष सचिव (राजस्व व आपदा प्रबंधन) डी.सी. राणा, ने सभी जिलों से अनुरोध किया कि वे चिकित्सा प्रतिक्रिया योजना, लॉजिस्टिक तैयारियों और राहत एवं बचाव तंत्र को और अधिक मजबूत करें। उन्होंने वीसैट कम्युनिकेशन नेटवर्क की स्थापना और प्रभावित क्षेत्रों के भू-स्थानिक मानचित्रण हेतु जीआईएस प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सुधीर बहल ने सभी प्रतिक्रिया एजेंसियों राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा सम्बद्ध विभागों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि एकीकृत प्रयासों और प्रभावी अंतर-विभागीय समन्वय से ही आपदा तैयारी और जोखिम न्यूनीकरण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। सभी संबंधित पक्षों से सतर्क, सक्रिय और हर प्रकार की आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *