अमर ज्वाला //मंडी
मंडी व्यापार मंडी के अध्यक्ष राजेश महेंद्रू ,सुंदरनगर से प्रवीण अग्रवाल तथा जयदेवी व्यापार मंडी के अध्यक्ष प्रकाश चंद गुप्ता, अशोक गुप्ता ने अलग अलग ज्ञापन मुख्यमंत्री को जिला उपायुक्त मंडी के माध्यम से भेजा हुआ है । ज्ञापन ने व्यापार मंडलों के विभिन्न अध्यक्षों द्वारा लिखा है कि हिमाचल प्रदेश के चिंतित व्यापार मंडलों ने राज्य में ब्लिंकिट जैसे ऑनलाइन बिक्री प्लेटफार्मों को लाइसेंस देने पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। उनका मानना है कि इन प्लेटफार्मों का विस्तार छोटे व्यवसायों और स्थानीय दुकानदारों की आजीविका के लिए एक गंभीर खतरा है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हजारों लोगों को रोजगार इन्हीं छोटे और मझौले व्यापारियों द्वारा मुहैया करवाया हुआ है।
*मुख्य मांगें:*
– *ब्लिंकिट जैसे अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी प्लेटफार्मों को नए लाइसेंस जारी करने पर रोक या प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है । व्यापार मंडलों के नागरिक ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह इन प्लेटफार्मों को नए लाइसेंस जारी करने पर रोक या प्रतिबंध लगाए।
*प्रभाव मूल्यांकन*
सरकार को इस मामले संबंधी गंभीरता से मूल्यांकन करना चाहिए कि ऐसे प्लेटफ़ॉर्म स्थानीय रोजगार और व्यावसायिक स्थिरता को कैसे प्रभावित होने से बचाया जाना चाहिए। क्योंकि शहरों के छोटे और मझौले व्यापारियों द्वारा हजारों बेरोजगारों को रोजगार भी मुहैया करवाया हुआ है वहीं टैक्स के माध्यम से भी सरकारों को पैसा दिया जा रहा है।
– *स्थानीय उद्यमों का समर्थन*: सरकार को ऐसी नीतियां बढ़ावा देनी चाहिए जो छोटे और मध्यम आकार के स्थानीय उद्यमों का समर्थन करें, जिससे उन्हें आधुनिक बनाने और प्रतिस्पर्धी बने रहने में सक्षम बनाया जा सके।
*स्थानीय विक्रेताओं का डिजिटल समावेशन*:
सरकार को सरकारी समर्थित ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से स्थानीय विक्रेताओं के डिजिटल समावेशन को प्रोत्साहित करना चाहिए।
*कारण:*
ब्लिंकिट जैसे प्लेटफार्मों का विस्तार छोटे खुदरा विक्रेताओं, किराने की दुकानों और दैनिक आवश्यकताओं के विक्रेताओं की आजीविका के लिए एक गंभीर खतरा है।
– *बेरोजगारी में वृद्धि*: इससे बेरोजगारी में सीधे वृद्धि होगी, खासकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां ऐसे स्थानीय व्यवसाय अक्सर आय का प्राथमिक स्रोत होते हैं।
*सरकार से अनुरोध*:
नागरिक ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह छोटे व्यवसाय समुदाय की आवाज को ध्यान में रखते हुए एक समावेशी और टिकाऊ हिमाचल प्रदेश के लिए नीतियां बनाए।