निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता पर भरोसा कायम, सोशल मीडिया की तेज रफ्तार इंटरनेट तक सीमित

सुभाष ठाकुर*******

देश में प्रिंट मीडिया का जन्मदाता ‘उदन्त मार्तंड’ है शीर्षक के नाम से पहला साप्ताहिक समाचार पेपर का संचालन 30 मई 1826 को कोलकाता में हुआ था। प्रिंट की नींव इस साप्ताहिक समाचार के रूप में शुरू हुआ यह समाचार पेपर इतिहास के पनों में अपना नाम दर्ज कर चुका है।

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हिमाचल प्रदेश का अग्रणी ‘अमर ज्वाला’ साप्ताहिक समाचार पेपर पिछले 18 वर्षों से प्रदेश के कौने कौन तक डाक द्वारा प्रसारित हो रहा है। अमर ज्वाला समाचार पेपर मंडी जिला से एक ऐसा पहला समाचार पेपर प्रकाशित हो रहा है। मंडी शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश तथा अन्य राज्यों के अनेकों बुद्धिजीवियों ने अमर ज्वाला साप्ताहिक समाचार पेपर के प्रकाशन के लिए हर वक्त अपना भरपूर सहयोग दिया और दे रहे हैं। प्रकाशन के लगातार सफलतम 18 वर्ष आज 19 जून 2025 को पूरे हुए हैं। वर्ष 2026 को समाचार पेपर अपने दो दशक सफर तय करने वाला है।

अमर ज्वाला के पहले अंक का लोकार्पण 19 जून 2007 को मंडी सर्किट हाऊस में सैकड़ों लोगों तथा मंडी के सभी वरिष्ठ और कनिष्ठ पत्रकारों की मौजूदगी में तात्कालीन सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य तथा कानून मंत्री ठाकुर कौल सिंह द्वारा किया गया। प्रदेश का अग्रणी

अमर ज्वाला’ साप्ताहिक समाचार पेपर प्रदेश के साथ साथ अन्य राज्यों में भी पाठकों की मांग पर पहुंचाया जा रहा है। सीमित संसाधनों के साथ अमर ज्वाला समाचार पेपर के संस्थान डरा कैठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर आम जनता की आवाज को बुलंद करने से पीछे नहीं हटा है। वहीं सरकार की हर विकासात्मक योजनाओं को प्रमुखता से प्रकाशित कर जनजन तक पहुंचा कर समाज के हर वर्ग को सरकार योजनाओं से जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रदेश का अग्रणी अमर ज्वाला साप्ताहिक समाचार पेपर की लोकप्रियता पाठकों के दिलों में निरंतर अपनी जगह बनाने में कामयाब हुआ है। समाचार पेपर की निर्भीकता और निष्पक्षता ने साथ उन सभी बड़े भ्रष्टाचार को उजागर कर समाचार पेपर में प्रकाशित किया हुआ है। जिसके लिए संस्थान के किसी भी सहयोगियों द्वारा किसी से कोई समझौता न कर भ्रष्टाचारियों, दलालों तथा बिचौलियों की धमकियों के दबाव में न आकर समाचार को तथ्यों के साथ प्रकाशित कर पाठकों की पहली पसंद बन कर उनके दिल में जगह बनाई हुई है।

संपादक को अनेकों धमकियां तक दी जाती है लेकिन किसी की धमकियों की परवाह किए बिना हमने हर भ्रष्टाचार के मामलों की गहनता से जांच परख कर मामलों को हमेशा ही प्रमुखता से प्रकाशित करने में पाठकों का विश्वास बनाए रखा है। बल्कि जिसके चलते संस्थान को आर्थिकी नुकसान तक झेलना पड़ता है, भ्रष्टाचार के मामलें उजागर होने से अनेकों सार्थक परिणाम भी प्रदेश सरकारों को मिले हुए हैं। पत्रकारिता की इस आधुनिकता वाली आंधी से खुद को अलग कर पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों पर चलना ही संस्थान की नियति रही है। जिसका सारा श्रेय अमर ज्वाला के बुद्धिजीवी पाठकों विज्ञापन दाताओं, संस्थान के सहयोगियों कानूनी सलाहकारों सूचना आदान प्रदान करने वालों को जाता है। संस्थान से जुड़े हुए प्रदेश तथा अन्य राज्यों के बुद्धिजीवी पाठकों, लेखकों व विज्ञापन दाताओं के सहयोग से ही यह 18 वर्षों का यह कठिन सफर सफल हो पाया है। इस सफर का सारा श्रेय इन सभी सहयोगियों को जाता है। हम सभी अमर ज्वाला संस्थान के साथ निष्पक्षता से जुड़ कर अपने कर्तव्य का निर्वाह करते रहेंगे हैं।

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*सोशल मीडिया का इतिहास*

– इंटरनेट का विकासः 1960 के दशक में इंटरनेट का विकास शुरु हुआ, जिरासे ऑनलाइन संचार और जानकारी के आदान-प्रदान के नए तरीके संभव हुरा पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 1980 के दशक में पहले सेोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि सिक्स डियी डॉट कॉस (1997) और फेडस्टर (2002) शुरू हुए। फेसबुक और ट्विटर 2004 में फेसबुक और 2006 में दिवटर की शुरुआत ने सोशल मीडिया को व्यापक रूप से लोधीप्रय बनया और इसके उपयोग में तेजी से वृद्धि की।

*तुलना और अंतर* 

प्रिंट मीडिया, प्रिंट मीडिया का इतिहास अधिक पुराना है और इसका विकास धीरे-धीरे हुआ है, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस के अविष्कार से लेकर आधुनिक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं तक का सफर शामिल है।

सोशल मीडियाः सोशल मीडिया का इतिहास अपेक्षाकृत नया है और इसका विकास तेजी से हुआ है, जिसमें इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकी की प्रगति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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*प्रिंट मीडिया का इतिहास* 

– प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार 15वीं शताब्दी में जोहान्स गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस का अविष्कार किया, जिससे पुस्तकों और अन्य मुक्ति बीचा बड़े ने घर उत्पादन संभव हुआ।

– पहले अख्बार 17वीं शतानी में यूरोप में पहले अखबार प्रकाशित हुए. जैसे कि जर्मनी में Relation (1606) और इंग्लैंड में The Daily Courant” (1702) – विकास और विस्तार 19वीं और 20वीं शताब्दी में प्रिंट मीडिया ने तेजी से विकास किया और विस्तार पाया, जिसमें समाचार पत्र, पत्रिकाएं और पुस्तकें शामिल थीं।

प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया दोनों के अपने इतिहास और विकास की कहानियां हैं। प्रिंट का इतिहास सदाबहार है जबकि सोशल मीडिया मात्र इंटरनेट तक सीमित है। विश्व में अगर किसी कारण वंश इंटरनेट एक सैकंड के लिए ब्लैकआउट हो गया तो समझना सोशल मीडिया की हकीकत सामने विखाई देगी। जिसके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हजारों, लाखों मिलियन व्यूअर्स पैसे खर्च कर बने हुए हैं एक ही झटके में संख्या घटेगी ही नहीं बल्कि शुन्य राक पहुंचने में देर नहीं लगेगी। वहीं चिंट मीडिया का प्रचार प्रसार बहुत ही धीमी गति से होता है लेकिन पत्रकारिता की सत्यता और निर्भीकता पर टिकाऊ रहता है इसे इंटरवेट के ब्लैक ऑउट से कोई नुकसान नहीं होने वाला बल्कि सड़क

कनेक्टिविटी खराब होने से कुछ समय के लिए बाधित होती रहती है। प्रिंट मीडिया का इतिहास अधिक पुराना है और इसका विकास धीरे-धीरे हुआ है, जबकि सोशल मीडिया का इतिहास नया है और इसका विकास तेजी से हुआ है। लेकिन सत्यता पर विश्वास नहीं किया जाता है।

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