हिमाचल प्रदेश: देव भूमि से पर्यटन भूमि की ओर

सुभाष ठाकुर*******

हिमाचल प्रदेश, जिसे देश-विदेश में देव भूमि के नाम से जाना जाता है, धीरे-धीरे पर्यटन भूमि बनता जा रहा है। यह परिवर्तन न केवल पर्यटन के क्षेत्र में हो रहा है, बल्कि राज्य की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं में भी बदलाव आ रहा है।

देव समाज में राजनीतिक पार्टियों की दस्तक ने देवी देवताओं की प्राचीन संस्कृति को कमजोर करने का काम किया है। देवताओं के मंदिरों में पूजा पाठ के बजाय राजनीतिक पार्टियों की मिटेंगे होने लगी हैं। धार्मिक स्थलों पर देव मेलों और त्यौहारों में नेताओं को मुख्य अतिथि बनाया जाने लगा है।

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पर्यावरण में भी तेजी से बदलाव हो रहा है। कच्चे मकानों की जगह सीमेंट और कंक्रीट के बहुमंजिला भवनों ने ले ली है। हर घर में गाड़ियां होने से प्रदूषण फैल रहा है। पहाड़ों की काली गाय की जगह विभिन्न नस्लों की गायों ने ले ली है। किसानों के खेतों में जहरीले कैमिकल का उपयोग बढ़ गया है।

इन बदलावों के कारण हिमाचल प्रदेश में आपदाओं की घटनाएं बढ़ गई हैं। यह देवी देवताओं का प्रकोप नहीं है, बल्कि पर्यावरण में बदलाव के कारण हो रहा है।

इस समस्या का समाधान करने के लिए हमें अपनी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को बचाने के लिए काम करना होगा। हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक रहना होगा और इसके संरक्षण के लिए काम करना होगा।

केंद्रीय सरकारों और राज्य सरकारों को भी इस समस्या का समाधान करने के लिए काम करना होगा। हमें अपनी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को बचाने के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा।

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