सुभाष ठाकुर******
हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल स्पीति शीतमरुस्थल पर्यटन क्षेत्र की दृष्टि से मिनी लद्दाख के नाम से विख्यात काजा उपमंडल में अधिकांश छरमा (seabuckthorn) का यह औषधीय गुणों से भरपूर पौधा पाया जाता है ।

छरमा (Sea Buckthorn) का पौधा अपनी औषधीय गुणों और आर्थिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह पौधा न केवल कई औषधीय गुणों से भरपूर है, बल्कि यह क्षेत्र की भूमि और आर्थिकी को भी मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

छरमा जिला लाहौल स्पीति में दो तरह का पौधा पाया जाता है जिसमें एक छोटा पौधा फल देता है वह अधिकांश स्पीति में पाया जाता है , दूसरा पौधा लम्बाई में बड़ा होता है वह ज्यादातर जिला के पट्टन वैली क्षेत्र , गाहर और जिला मुख्यालय ,चंद्र वैली क्षेत्र में पाया जाता है । इन क्षेत्र में छरमा का वैरी वाला पौधा भी होता है लेकिन कम मात्रा में पाया जाता है।
छरमा के नाम से कुछ NGO द्वारा करोड़ों रुपए की योजनाओं बनाकर धरातल पर उतारने में असफल रहे और अपनी तिजोरियां भरकर अपना काम समेट कर लाखों करोड़ों डकार चुके हैं

स्पीति में भी एक जानेमाने व्यक्ति द्वारा सरकारी पद पर कार्यरत अधिकारी ने एक NGO अपने रिश्तेदारों के नाम से कुछ वर्ष चलाया लेकिन वह स्थानीय जनता को रोजगार देने में कामयाब नहीं हों सके।
जिला लाहौल स्पीति के पटन वैली में भी एक छरमा के योजना लाई गई लोगों से छरमा को इक्कठा करने के लिए कहा गया लेकिन बाद में जैसे सरकार से NGO को सहायता मिली सोसाइटी लामबंद हो चुकी।
सरकारी अधिकारियों ने कभी भी ऐसे उन NGO पर निगरानी ही नहीं रखी।
लेकिन बाहर से बड़ी कम्पनियां द्वारा छरमा के महत्व को समझते हुए इसके गुणों और मंहगे व्यापार को देखे हुए स्पीति से यह कारोबार पकड़ा और मंहगे बाजार में यानी बड़े बड़े मॉल या शॉ रुम पर छरमा के उत्पादों को उतारा गया है।
*औषधीय गुण*
छरमा के पौधे में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण औषधि बनाते हैं। इसके कुछ प्रमुख गुणों में शामिल हैं।
– एंटीऑक्सीडेंट गुण
– एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
– त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद
*आर्थिक महत्व*
छरमा के पौधे का आर्थिक महत्व भी है, क्योंकि इसकी मांग बाजार में बढ़ रही है। लाहौल स्पीति जिले में छरमा के पौधे की खेती और इसके उत्पादों का व्यवसाय एक अच्छा अवसर हो सकता है। राज्य सरकार को गंभीरता से इस पौधे के महत्व और गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। जिला लाहौल स्पीति के उदयपुर में जरूर कार्य किया जा रहा है। वह मात्र पौधों के नाम पर एक मात्र काम है , यह शोध ही करते करते वर्षों बीत चुके हैं अन्य कई देशों ने छरमा के इस पौधे के अनेकों मंहगे उत्पाद तक बाजार में उतार दिए हैं। सरकार इस बेश कीमती पौधे की गुणवत्ता को देखते हुए कार्य कार्य तो स्थानीय लोगों को अच्छा खासा रोजगार मिलेगा किसानों की बंजर भूमि पर लगे हुए पौधे आए दिन किसी काम के नहीं क्योंकि वहां से ऐसे कोई भी एनजीओ नहीं जो उन से सूखी पतियां, फल ,बीज इत्यादि इकठ्ठा कर खरीद रहा हो। सरकार को चाहिए कि छरमा की यह पतियां किसानों से इकठ्ठा करवा कर बाजार में हर्बल चाय उतारी कर क्षेत्र के किसानों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।





*भूमि और आर्थिकी को मजबूती देने में भूमिका*
छरमा के पौधे की खेती से क्षेत्र की भूमि और आर्थिकी को मजबूती मिल सकती है। यह पौधा उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है, जहां अन्य फसलें नहीं उगाई जा सकती हैं। इससे स्थानीय लोगों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिल सकता है और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।