चौहार घाटी में बादल फटने से भारी तबाही: 1993 की घटना की पुनरावृत्ति

सुभाष ठाकुर*******

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के दुर्गम क्षेत्र चौहार घाटी की शिल्हबुधानी पंचायत के स्वाड नाले और फ्लाइयांगडा नाले में बादल फटने से तबाही मचाई हुई है। स्वाड गांव के लोगों को देर रात दो बजे के आसपास बादल फटने से दोनों नालों के जलस्तर बढ़ने की आवाज को भांपते हुए लोगों ने अपने घर से भाग कर ऊंचाई वाले क्षेत्र में जा कर अपनी जान सुरक्षित किया।

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देर रात चौहार घाटी में भारी बारिश हुई है जिसमें किसानों की भारी तबाही हुई है।

स्वाड गांव के दो माचली पलकों को करोड़ों का नुकसान बताया जा रहा है।

रैनवों ट्राउट मछली की हैचरी और फॉर्महाउस के 8 टैंकों में प्रजनन करने वाली बड़ी बड़ी कई किलों की एक एक मछलियां लगभग 10 क्यूंटल और अन्य सात टैंकों में कई टन मछलियां तथा हैचरी में तैयार हुआ लाखों छोटी मछलियां के साथ सब बह चुका है।जिसके चलते मान सिंह पगलानी को अकेले को ही लगभग एक करोड़ से भी अधिक नुकसान आंका जा रहा है।

वहीं शिव कुमार के तीन टैंक भरी हुई मेवाकियोनके साथ लाखों का नुकसान बताया जा रहा है।

पंचायत प्रधान गीता ठाकुर की की दुकान और एक अन्य दुकान तथा पैदल चलने वाले सभी पुल बह चुके हैं किसानों की फसल के साथ सैकड़ों बीघा भूमि भी फसल के साथ बह जाने से किसानों की आजीविका पर भारी नुकसान हुआ है ।

7 जुलाई 1993 को भी इस नाले में बादल फटने से 16 लोगों के बहने की घटना घट चुकी है। आज देर रात 2 बजे के आसपास फिर से इस नाले में बादल फटने से तबाही मचाई हुई है। यह क्षेत्र पहले भी आपदाओं का शिकार हो चुका है।

हाल ही में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कुल्लू, मंडी और शिमला जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इन घटनाओं में कई लोगों की मौत हुई है और कई लापता हैं ।

चौहार घाटी के दुर्गम क्षेत्र में प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें पहुंचने के बाद ही राहत और बचाव कार्य शुरू होने की संभावना है ।क्षेत्र में विद्युत लाईन क्षतिग्रत होने से बिजली की आपूर्ति बंद हो चुकी है पेय जल लाइनें टूट चुकी है सड़कें बंद हो जाने से लोगों की आवाजाही मुश्किल हो चुकी है।

चौहार घाटी में बादल फटने से भारी तबाही 1993 की घटना की पुनरावृत्ति से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

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