कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं जा सकेंगे देश से बाहर
दो आरोपी अभी भी जेल में जबकि तीन भाग चुके हैं विदेश
मंडी। अच्छी रिटर्न के लिए निवेश के नाम पर लोगों के साथ की गई धोखाधड़ी के चर्चित फॉरेक्स ट्रेडिंग मामले में प्रदेश उच्च न्यायलय ने पांच आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया है। उच्च न्यायलय के न्यायधीश वीरेंद्र सिंह के न्यायलय ने मंडी जिला के बल्ह पुलिस थाना में भादंस की धारा 420, 120-बी और बैनिंग ऑफ अनरेगूलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट की धारा 21 व 23 के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों रमेश चंद, चमन लाल, जितेन्द्र कुमार, चंद्र मोहन और केवल कृष्ण की जमायत याचिकाओं को स्वीकारते हुए उन्हें पचास-पचास हजार रूपये की जमानती राशियों पर सशर्त रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत ने आरोपियों को तहकीकात और अदालत में उपस्थित रहने, मामले के सबूतों और साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करने और अदालत की पूर्व अनुमति के बगैर देश न छोड़ने की शर्तों पर जमानत देने का फैसला सुनाया है। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता नरेंद्र गुलेरिया, सुरेंद्र सकलानी और बीएस बलियान ने उनकी जमानत याचिकाओं की पैरवी की। अधिवक्ताओं की ओर से उच्च न्यायलय में दलील दी गई कि याचिकाकर्ता आरोपी मात्र निवेशक थे और उन्हें निवेश प्राप्त करने वाले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस मामले के दो अन्य आरोपी अभी भी जेल में हैं। जिनमें मुख्य आरोपी कंपनी के निदेशक राजेंद्र सूद की पत्नी नीतू सूद और दिनेश कुमार शामिल हैं। इस मामले के मुख्य आरोपी राजिन्द्र सूद, विनित कुमार और संतोष कुमार विदेश भाग चुके हैं। हालांकि पुलिस इन्हें वापिस भारत लाने के लिए केंद्र सरकार के साथ लगातार संपर्क में है लेकिन अभी तक उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। प्रदेश उच्च न्यायलय में याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दायर पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक 19 अक्तूबर को राजेश सैनी ने बल्ह थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी कि आरोपियों ने उससे क्यू ट्रेड 9 डॉट कॉम, क्यूएफएक्स ट्रेड लिमिटेड के माध्यम से 12,60,390 रूपये की धोखाधड़ी की है। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी उसके पास आए और क्यूएफएक्स कंपनी के बारे में बताया कि उनकी कंपनी फोरेक्स में निवेश करती है और उन्हें निवेश की गई राशि का हर महीने पांच प्रतिशत राशि प्राप्त होने की बात बताई गई। जिस पर शिकायतकर्ता ने उक्त राशि आरोपी के नेरचौक स्थित बैंक के खाते में जमा करवाई थी। इसके बाद उसे कंपनी के निदेशकों से मिलाया गया था। आरोपियों ने लोगों से राशि प्राप्त करके अच्छी रिटर्न प्राप्त होने की बात करके उन्हें धोखा दिया है। इन्होंने नेरचौक में अपना कार्यालय भी बनाया हुआ था। यह 11 महीने के निवेश का प्लान था। जिसके बाद निवेशकों को पूरी राशि चेक के माध्यम से राशि लौटाई जानी थी। आरोपियों ने शिकायतकर्ता की राशि का प्रयोग करके उसे कोई राशि वापिस नहीं लौटाई। उन्हें कुछ चेक दिए गए थे लेकिन जिन खातों के यह चेक जारी किए गए थे वह खाते ब्लॉक हो चुके थे। आरोपियों की कंपनी में हजारों लोगों ने निवेश किया है और शिकायतकर्ता सहित हजारों लोग अच्छी रिटर्न की उम्मीद में हैं।