क्या मंडी शिवरात्रि में नागा बाबाओं की रैली जरूरी है या नही ?
सुभाष ठाकुर*******
धर्म और जाति की राजनीति से प्रेरित कुछ लोगों द्वारा मंडी की अंतराष्ट्रीय महाशिवरात्रि पर्व के दौरान मंडी शहर में नागा बाबाओं की रैली निकाल कर हिमाचल प्रदेश के देव संस्कृति को बाबाओं का अखाड़ा बनाने का प्रयास कर देव समाज पर बड़ा प्रहार किया जाने लगा है।
मंडी में आखड़ों का प्रदर्शन कर अपनी राजनितिक रोटियां सेंक कर मंडी की अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि में शोभा बढ़ाने वाले सैकड़ों देवी देवताओं के साथ आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों महिला व पुरुष श्रद्धालुओं का अपमान करने का प्रयास तो किया जा रहा है , वहीं सैकड़ों देवी देवताओं की संस्कृति पर भी ऐसे लोगों द्वारा बड़ा प्रहार कर हिमाचल प्रदेश के देव समाज और देव संस्कृति को अपनी राजनीतिक जागीर बनाने का प्रयास पिछले वर्ष से लेकर किया जा रहा है।
देव समाज में यह उचित नहीं माना जायेगा । प्रशासन द्वारा नागाबाबों को रैली निकालने की अनुमति दी जाती है तो देवताओं की विभिन्न कमेटियों द्वारा मंडी शिवरात्रि मेले में भविष्य के लिए आना भी बंद कर सकते हैं और आधा मेले को छोड़ कर भी जा सकते हैं।जिसके लिए जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार को समय रहते उचित कदम उठाने होंगे।
हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि के नाम से जाना जाता है। यहां देवी देवताओं के मेले, जागरण जैसे अनुष्ठान होते रहते हैं।
बाबाओं द्वारा धर्म और राष्ट्र की रक्षा करने बारे और अपनी पूजा अर्चना ,और श्रद्धा भक्ति अखाड़ों में की जाती रही है। बाबाओं का मानसम्मन अखाड़ों में ही बेहतर माना गया है ।
हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की देव भूमि के नाम से जाना जाता है।
मंडी शिवरात्रि में नागा बाबाओं की यात्रा निकालना क्या देवी देवताओं के पर्व में पहुंचने वाले सभी श्रद्धालुओं का निरादर नही ?
वर्ष 2023 में भी ऐसी गलती करने का परिणाम बरसात में हिमाचल प्रदेश के कौने कौन पर तबाही के उस खौफनाक मंजर से किसी ने क्या सिख नही ली ।
हिमाचल प्रदेश के हर जिले में पिछले वर्ष की बरसात में सैकड़ों लोगों की जाने गई वहीं हजारों करोड़ों रुपए की सरकारी और गैर सरकारी संपतियों के क्षतिग्रस्त होने से प्रदेश को भारी नुक्सान झेलना पड़ा है। बरसात के उस खौफनाक मंजर के दौरान प्रदेश की जनता के मुख से अपने अपने देवी देवताओं से प्रार्थना करते रहे कि बरसात के खौफनाक मंजर से हिमाचल की रक्षा करे।
देवी देवताओं की प्राचीन संस्कृति और देव नीति के संचालन की यादें आती रही और उस दौरान सभी के मुख्य से प्रदेश की रक्षा करने की देवी देवताओं से प्रार्थना करते रहे।
मंडी की बुद्धिजीवी जनता चाहिए देव देवताओं के इतिहास और उनके पर्व के साथ देव संस्कृति और देव नीति में बदलाव न कर देव समाज की संस्कृति को बचाए रखने और मंडी की अन्तर्राष्ट्रीय महाशिवरात्रि के इस पवित्र पर्व को जैसे सदियों से संचालित होता रहा है उसे उसी पद्धति से बनाए रखने के लिए आगे आना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचने वाले अराध्य देवताओं के दर्शन हर वर्ष सभी को होते रहे।
बाबाओं को राजनीति से प्रेरित नही होना चाहिए, जैसे अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए बाबाओं का एहम योगदान रहता है। लेकिन उनका मूल स्थान आखाड़ों के साथ उसी राज्य और उसी क्षेत्र में अच्छा रहता है। लेकिन प्रदेश पहाड़ी राज्य के साथ साथ देव भूमि के नाम से जाना जाता है। मेलों में हजारों लोग ग्रामीण क्षेत्र से मेलों में पहुंचते हैं देवताओं के साथ चलते हैं।क्या उन्हे नागा बाबाओं की रैली करवा कर उन्हे हिमाचल।प्रदेश की संस्कृति से लजित नही समझा जायेगा ?