***कांग्रेस की सरकार पर मंडराए हुए बादल अभी छिटके नही ! **मुख्यमंत्री सुखबिंदर सिंह सुक्खू को हो चुका है इसका आभास
अमर ज्वाला //मंडी
हिमाचल प्रदेश की व्यवस्था परिवर्तन करने आई मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार के अपने ही विधायकों ने मुख्यमंत्री का विरोध कर डाला है।
हिमाचल प्रदेश से एक राज्यसभा चुनाव सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के छः विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर मुख्यमंत्री पर जबाव हमला बोल डाला ।
क्रोस वोटिंग होने के बाद बजट सत्तर के दौरान बजट पास होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के छः विधायकों की सदस्यता रद्द कर डाली। लेकिन 11 दिनों बाद भी कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद भी सभी छः विधायकों को केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व के इशारे हिमाचल से बाहर लेकर गए हुए हैं। बागी विधायकों को चंडीगढ़ के एक होटलें से दूसरे राज्य में सीआरपीएफ की सुरक्षा के पहरे में एक सात सितारा होटल में रखा हुआ है।
बागी विधायकों की सदस्यता जब सदन द्वारा रद्द की गई है तो कांग्रेस के विधायकों संख्या फिर भी 34 विधायकों की रहती है और बीजेपी के पास 25 और 3 निर्दलीय के साथ 28 विधायकों की संख्या बनती है ।
हिमाचल विधानसभा की कुल 68 विधायकों की संख्या में 6 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद सदन की कुल संख्या 62 रही है।
कांग्रेस सरकार के विधायकों की संख्या यूं तो बहुमत है लेकिन बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद भी विपक्ष ने अपने साथ क्यों सीआरपीएफ की सुरक्षा में रखा हुआ है ? जबकि कांग्रेस के मंत्री और विधायकों की संख्या अभी ऐसी और भी है जो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं।
जिसकी राजनीतिक चर्चा खुले में होनी शुरू हो चुकी है।
पार्टी आलाकमान की आंखे भी अब खुल चुकी है लेकिन आलाकमान ने बहुत देर कर दी है । कांग्रेस आलकमान समय रहते हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बचाना चाहते हैं तो समय रहते कठोर निर्णय पार्टी हित के लिए लेने होंगे व्यक्ति विशेष को बचाने की सियासत से ऊपर उठकर कदम उठाने होंगे ।