हिमाचल प्रदेश की व्यवस्था परिवर्तन करने का बार बार बयान देने वाले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के 14 माह के कार्यकाल की कार्यप्रणाली से कांग्रेस के मंत्री ,विधायक, पूर्व मंत्री कांग्रेस नेताओं तथा कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त आक्रोश देखने को मिला । जिसे कांग्रेस हाईकमान समय रहते समझना ही नही चाहता था। कांग्रेस हाईकमान को हिमाचल की सीट के लिए राज्यसभा चुनाव में पार्टी की हार होने के बाद जोरदार झटका लगते ही हाईकमान की बंद आंखे देर से खुली।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार अभी भी संकट में चलता देख पार्टी हाईकमान ने छः वरिष्ठ नेताओं की समन्वय समिति का गठन कर दिया है । समन्वय समिति का गठन बहुत पहले ही होना चाहिए था लेकिन बहुत देर से किया जिसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, मंडी सांसद पार्टी प्रदेशाध्यक्षा प्रतिभा सिंह , मंत्री धनीराम शांडिल, पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह पूर्व मंत्री राम लाल ठाकुर को शामिल किया हुआ है । कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के सी वेणुगोपाल ने प्रेस रलिज कर जारी किया है।
कांग्रेस हाईकमान की आंखे तब खुली की खुली रह गई जब हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में हिमाचल से आमजनता तथा कांग्रेस के विधायकों द्वारा पार्टी आलाकमान तथा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को राज्यसभा में पार्टी का उम्मीदवार हिमाचल से किसी वरिष्ठ नेता की मांग जबरदस्त उठ चुकी थी लेकिन मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश के किसी नेता को अपने से ऊपर हिमाचल के किसी भी नेता को नही देखना चाहते हैं जिससे बीजेपी आलकमाम ने हिमाचल में कांग्रेस की बढ़ती गुटबाजी को समय रहते भांप लिया और बीजेपी के 25 विधायकों वाले दल ने कांग्रेस के 40 विधायकों से बनाई हुई राज्य सरकार में सेंधमारी कर जीत हासिल कर चंबा जिला के हर्ष महाजन को राज्यसभा सांसद बना कर भेज दिया जिसके लिए कांग्रेस के छः विधायकों तथा तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा क्रोस वोटिंग कर कांग्रेस हाईकमान की नीद उड़ा डाली है।
कांग्रेस के बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनकी सदस्यता रद्द कर दी है । बागी विधायक कांग्रेस की झोली से बाहर निकल चुके हैं और वह बीजेपी के कब्जे में बताए जा रहे हैं । कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों में अभी भी आपसी खासी नाराजगी बनी हुई है कांग्रेस की प्रदेश सरकार को गिराने के लिए आए दिन भी बीजेपी तथा कांग्रेस के कई नेता अपनी अपनी सियासत में जुटे हुए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के 14 माह के कार्यकाल में कांग्रेस विधायकों का आक्रोश उस वक्त से बढ़ता गया जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सरकार की भागीदारी से ia लिए दूर रखा गया कि प्रदेश की आर्थिकी कमजोर है बोर्ड और निगमों में कोई भर्तियां नही की जाएगी।लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा ऐसे नेताओं की नियुक्तियां एक एक करके करते रहे जिन्होंने विधानसभा चुनावों के दौरान अपनी ही कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ भीतरघात कर उन्हे हराने का कार्य किया हुआ है। जिसका खुलासा पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ,मंडी से जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश चौधरी खुले मंच से बयान कर चुके हैं।