सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई के चेयरमैन को निर्देश दिया है कि 21 मार्च तक सारी जानकारी चुनाव आयोग को देने के बाद बैंक कोर्ट में हलफ़नामा दायर करे और बताए कि उसने ये जानकारी आयोग को सौंप दी है।
इस मामले की सुनवाई चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ही कर रही थी.
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “15 फ़रवरी 2024 को जब आदेश दिया गया था कि वह राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले पैसे की पूरी जानकारी दे तो इसका मतलब था कि ‘आदेश का पूरी तरह पालन’ हो.”
”आदेश के अनुसार, एसबीआई को कहा गया था कि वो दो हिस्सो में जानकारी दे. 12 अप्रैल 2019 से इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दे, जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदने वाले का नाम और कितने का बॉन्ड ख़रीदा गया और सभी जानकारी बतायी जाए.”
“दूसरे हिस्से में बताए कि राजनीतिक पार्टियों को कितना बॉन्ड मिला और उन्होंने अंतरिम आदेश आने तक कितने बॉन्ड भुनाए.”
कोर्ट ने कहा, “इस आदेश को पढ़ें तो इसमें साफ़ साफ़ लिखा है कि एसबीआई को सारी जानकारी देनी थी ख़रीद और इनकैश जाने दोनों के ही संदर्भ में. साफ़ है कि एसबीआई ने पूरी जानकरी नहीं दी.”
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “एसबीआई को सारी जानकारी देनी है जो उसके पास है. हम साफ़ करना चाहते हैं कि इस जानकारी में अल्फ़ा न्यूमरिक और सीरियल नंबर शामिल है. अगर उसके पास बॉन्ड को लेकर ऐसी कोई भी जानकारी है तो सार्वजनिक करे.”
एसबीआई की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे ने कहा कि एसबीआई कोई जानकारी छिपा नहीं रहा है.
“हमने बीते गुरुवार को कोर्ट के आदेशानुसार शाम पांच बजे से पहले ईसी को सारी जानकारी दे दी थी. डिसक्लोज़र से कोई भी जानकारी बचा कर नहीं रखी गयी।