क्या यही है देव भूमि हिमाचल प्रदेश की नारी शक्ति की संस्कृति ?
फिल्म का एक सीन ……… भी कर पाए
सुभाष ठाकुर*******
हिमाचल प्रदेश में चुनावी दौर की राजनीति मुद्दों पर ही आधारित रही है लेकिन वर्तमान लोकसभा चुनावी प्रचार में प्रत्याशियों द्वारा प्रदेश के देवी देवताओं की भूमि पर शब्दों का चयन प्रदेश की संस्कृति को मायानगरी की प्रदर्शनी लगा डाली है।
ऐसे शब्दों को प्रारोसा जाने लगा है । जिसके चलते हिमाचल प्रदेश उतर प्रदेश, बिहार महाराष्ट्र ,पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में शामिल किया जा रहा है ।
ऐसे शब्द केंद्रीय चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता की श्रेणी आते हैं या नहीं उन्हे देखना होगा । यह तो चुनाव आयोग ही निर्णय करेगा लेकिन हिमाचल प्रदेश की जनता के लिए ऐसे शब्दों का चयन किसी भी राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा शायद ही मंच से अपना वक्तव्य जारी किया हो। ऐसे शब्दों का चयन कर बीजेपी के लिए प्रदेश की चार लोकसभा सीटों तथा छः विधानसभा क्षेत्रों के बीजेपी उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है ।
नेताओं के ऐसे शब्दों का चयन कर हिमाचल प्रदेश की जनता में बीजेपी प्रत्याशी अभिनेत्री की भाषाशैली से बीजेपी के बुद्धिजीवी मतदाताओं को भी ठेस पहुंची है ।
पूर्व की कांग्रेस सरकार के छः बार के मुख्यमंत्री के पद पर का नेतृत्व किया हुआ है। उस परिवार का प्रदेश में ही नही बल्कि देश की सियासत में अपना स्थान है। मंडी संसदीय क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत की भाषा ऐसी ही चलती रही तो बीजेपी को राष्ट्रिय सत्तर पर बड़ा नुकसान झेलना होगा।
बीजेपी को केंद्र में हैट्रिक लगाने के लिए देश की 543 संसदीय क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों का चयन मनोरजन की दुनिया की लोकप्रियता वाले बॉलीवुड अभिनेता अभिनेत्री की लोकप्रियता वाले प्रत्याशियों को राजनीतिक सियासत में भी मतदाताओं के दिलों पर राज करना होगा। तभी केंद्र की सत्ता पर बीजेपी हैट्रिक लगाने में कामयाब हो पाएगी ।
हिमाचल प्रदेश में अभिनेत्री कंगना की ऐसी भाषा के साथ प्रचार की चर्चा से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा चुकी है । बीजेपी दूसरे राज्यों में लोकसभा प्रचार के दौरान ऐसी भाषा का प्रचार जरूर करती रही , लेकिन हिमाचल प्रदेश का मतदाता ऐसी भाषा शैली पर बीजेपी को जबरदस्त चोट पहुंचाने वाला हैं।
बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा समय रहते मंडी संसदीय क्षेत्र से उचित कदम नहीं उठाए तो बीजेपी को मंडी ही नही अन्य लोकसभा तथा विधानसभा के उपचुनावों में भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर जैसे कदावर नेता मंडी से बड़े भरी मतों के साथ सत्तासीन कांग्रेस को मात दे सकते हैं । उनके सिवाय यह तय है कि ऐसी भाषा ही कांग्रेस को विजय बनाने में पूरा कार्य कर देगी।
महाराष्ट्र , बिहार ,उतर प्रदेश,पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ऐसी भाषा के प्रयोग का भले ही कोई असर नहीं पड़ता होगा ।लेकिन हिमाचल प्रदेश छोटा सा राज्य है यहां बीजेपी तथा कांग्रेस पार्टी के नेता जब आपसी तालमेल के साथ राजनीतिक मुद्दों के माध्यम से अपना प्रचार करते हैं । सामाजिक आजयोजन जैसी गतिविधियों में एक साथ मिला करते हैं यही कारण है कि चुनावी प्रचार में राजनीतिक मुद्दों की सीमा पर भी नही करते रहे।