हिमाचल के विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों का गुंडा राज आया सामने,पुलिस में मामला दर्ज

*हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के प्रोफेसर प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता(अकादमिक) द्वारा अपने ही सहायक प्रोफेसर पर जानलेवा हमला , एफ़.आई.आर दर्ज*

अमर ज्वाला // धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के धौलाधार परिसर के प्रशासनिक भवन में प्रोफेसर प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता (अकादमिक) द्वारा एक दिव्यांग सहायक प्रोफेसर पर जानलेवा प्रहार किया । सूत्रों के हवाले से मालूम हुआ कि दिव्यांग सहायक आचार्य जैसे ही प्रोफेसर प्रदीप कुमार के कार्यालय से बाहर आए तब उनकी बाजू खून लगा हुआ था और बाजू पर छोटे आई हुई थी।   प्रोफेसर प्रदीप कुमार विश्वविद्यालय में कुलपति के बाद नम्बर दो की हैसियत रखते हैं और वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राजनीतिक छात्र संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बताए जाते हैं ।

सूत्रों से यह भी जाकारी हासिल हुई है कि दिव्यांग शिक्षक पर हमला करने वाला शिक्षक सत्ता के राजनीतिक नशे के प्रभाव में  पूर्व में भी कई बार दिव्यांग सहायक आचार्य को विश्वविद्यालय से निलंबित करने की धमकी दे चुके है, यह भी मालूम हुआ है कि दिव्यांग सहायक आचार्य को इस मामले को पुलिस के पास ले जाने इस स्थिति पर निलंबित करने की धमकी भी दी गई है । सहायक आचार्य द्वारा धर्मशाला पुलिस स्टेशन में प्रोफेसर प्रदीप कुमार और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है । पुलिस ने इस मामले में निष्पक्ष कारवाई करने का भरोसा दिया है । दिव्यांग आचार्य के माता पिता उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने पुलिस से गुहार लगाई है कि उनके बेटे को सुरक्षा की गुहार लगाई है । प्रो. प्रदीप कुमार

ने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया है और अपने ही विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर पर जानलेवा हमला किया । पुलिस ने दिव्यांग सहायक आचार्य का धर्मशाला अस्पताल में मेडिकल भी करवाया है ।

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के राज्य अध्यक्ष छतर सिंह ने कड़ी आपती जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे शिक्षकों को तुरंत प्रभाव से उनके पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।  

अध्यक्ष छतर सिंह ने अमर ज्वाला से बात करते हुए साफ किया हुआ है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कड़ा संज्ञान समय रहते नहीं लिया गया तो एनएसयूआई विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदेश भर में मामले को उठाया जाएगा ।

उन्होंने यह भी कहा है कि मामले की जांच पूरी होने तक प्रोफेसर प्रदीप कुमार को नैतिकता के आधार पर डीन अकादमिक के पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके । छात्र संगठन ने यह भी मांग कि है  प्रोफेसर प्रदीप कुमार नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र नहीं देते हैं, तो मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति को उन्हें तुरंत उनके पद से हटाना होगा ।

लहूलुहान घटना को देखकर विश्वविद्यालय के छात्र बहुत घबराए हुए थे, जब उन्होंने सहायक आचार्य की बाजू को खून से लतपथ देखा । सहायक प्रोफेसर ने जब बहार आकर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को कॉल किया और बताया कि प्रोफेसर प्रदीप कुमार द्वारा जब उन्हें पिटा जा रहा था तो उसी समय प्रोफेसर सूर्यारश्मि रावत प्रदीप कुमार को और पिटाई करने के लिए उकसा रही थी । जब प्रो. प्रदीप कुमार द्वारा सहायक प्रोफेसर का गला पकड़ा गया था तो बच्चे बाहर मौजूद थे और वह खिड़की और दरवाजे से अंदर का दृश्य देख पा रहे थे । दिव्यांग प्रोफेसर के द्वारा रजिस्ट्रार को बुलाने पर भी रजिस्टर वहां उनकी मदद करने नहीं आए जिस कारण उन्हें रजिस्ट्रार के कार्यालय जाना पड़ा । यह बडे दुःख का विषय है कि एक दिव्यांग प्रोफेसर की शिकायत पर विश्वविद्यालय के कुलपति व रजिस्ट्रार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है जिससे यह प्रतीत पड़ता है कि विश्वविद्यालय के कुलपति व रजिस्टर दोषी प्रोफेसर को उसके राजनीतिक रसूक के डर के कारण उन्हें बचाने की भरसक प्रयास कर रहे हैं जिसे भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन कभी बर्दाश्त नहीं करेगा ।

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