मकसद मिडिया को कमजोर करना,या अपनी कमजोरी पर सीना जोरी का शोर तो नही !

सुभाष ठाकुर*******

हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में पुलिस द्वारा 8/10/2024 को मामला दर्ज किया हुआ बताया जा रहा है, मामला दर्ज कि एक पत्रकार द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार का विश्लेषण कर प्रदेश सरकार की कमजोर वित्तीय स्थिति हरियाणा विधानसभा चुनावों में जिसका असर पड़ा हुआ बताया गया ।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार में यह स्थिति पहली बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह की सरकार में देखने को मिली है, कि कर्मचारियों का वेतन 5 दिन बाद तथा पैंशनारों को दस तारिक को पेंशन के अदायगी हुई है। जिससे हिमाचल में ही नही बल्कि देश भर में हिमाचल प्रदेश सरकार की वित्त संबंधी चर्चा ने जोर पकड़ा हुआ था, केंद्र में बैठी एनडीए की सरकार भी हिमाचल प्रदेश के हजारों करोड़ों रुपए पर कुंडली मार कर बैठी हुई है जिसे जारी नही कर रही है यह आरोप हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हर मंच से लगा चुके हैं। केंद्र सरकार ऐसा इस लिए कर रही है ताकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अस्थिर हो सके।

भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सरकार के वित्तीय संबंधी मुश्किलों का खूब प्रचार किया , लेकिन हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के प्रचार में यह नही बताया कि हिमाचल प्रदेश को सबसे अधिक हिमाचल प्रदेश में पेपर लीक उनकी बीजेपी सरकार में हुए ,दवाइयों की खरीद फरोख्त में अरबों का भ्रष्टाचार उनकी सरकार में हुआ , जलशक्ति विभाग में लगभग 2200 करोड़ रुपए की खरीद फरोख्त बीजेपी की पूर्व की सरकार में हुई , विश्वविद्यालय में टीजीटी को सरदार पटेल विद्यालय मंडी और दसवी के मैथ विषय में फेल वोकेशनल कोर्स करने वाला बॉटनी का प्रोफेसर केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी नियुक्त हुए!

बीजेपी सरकार के कार्यकाल में 85 हजार करोड़ रुपए कर्ज तले कांग्रेस को विरासत में दिया हुआ है। वहीं केंद्र से हजारों करोड़ों डीए का पैसा नही दिया गया लगभग भाजपा 90 हजार करोड़ रुपए की देनदारी पूर्व की सरकारों द्वारा वर्तमान कांग्रेस सरकार को छोड़ी हुई है।

नेता कभी भी अपने राजनीतिक दल की कमजोरियों को नहीं बताएंगे लेकिन अपने विरोधियों की कमजोरियों को मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहते हैं।

प्रदेश सरकार को चाहिए कि पत्रकार के विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए दर्ज किया हुआ मामला तुरंत प्रभाव से वापिस लिया जाए ।

यह प्रदेश कांग्रेस ही नही बल्कि कांग्रेस को इसका असर राष्ट्रीय सत्तर पर भी झेलना पड़ सकता है अगर मामला सिर्फ पत्रकार के एक विश्लेषण से जुड़ा हुआ मात्र है तो कांग्रेस सरकार के लिए सबसे बड़ी शर्म की बात है।

पुलिस ने पत्रकार पर किसी अन्य मामलों जैसे पोर्टल के पंजीकरण संबंधी या डिजिटल प्रिंट का डिजाइन अखबार का आकार दे कर उसे अखबर का प्रारूप दे कर पाठकों को भ्रमित करने जैसे अन्य विषयों पर मामला दर्ज किया हुआ होगा तो इस संबंध पर हमें कोई जानकारी नहीं फिर भी मामला दर्ज करने से पूर्व नोटिस दे कर आगाह करना जरूरी रहता।

अगर एक विश्लेषण से मात्र मामला दर्ज करने का आधार बनाया गया है तो मैं व्यक्तिगत इसका कड़ी निदा करता हूं।

सरकार और पुलिस को मामला दर्ज करना चाहिए था जब अमर ज्वाला द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय में अपात्र प्रोफेसरों की भर्ती का मामला प्रकाशित किया हुआ था। जिसमे तमाम दस्तावेजों को दर्शाया गया था।

सरकार को चाहिए कि पुलिस और जांच एजेंसियों को मामला दर्ज करना चाहिए था जब मंडी सरदार विश्वविद्यालय में लगभग दो दर्जन से अधिक अपात्र प्रोफेसरों तथा गैर शिक्षकों की भर्ती पूर्व की बीजेपी सरकार में की गई गई ।

जिसमें एक ट्रस्ट के बैंक खाते में कई नियुक्त प्रोफेसरों द्वारा लाखों रुपए जमा किए गए फिर उन्हें ही प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के पद पर नियुक्तियां होती रही। मामला दर्ज आज तक तब भी नही हुआ जब कांग्रेस के विधायक चंद्र शेखर ठाकुर द्वारा सदन में बड़े जोरों शोरों से यही मामला उजागर किया हुआ था।

याद रखना होगा प्रदेश के पत्रकारिता से जुड़े हुए तमाम सहयोगियों को किसी भी समृद्ध राष्ट्र का निर्माण बेहतर शिक्षा की गुणवक्ता बिना कभी असंभव नहीं।

शिक्षण संस्थानों में अच्छे और ईमानदार शिक्षकों का नियुक्त होना अनिवार्य होता है।

याद हमेशा रहेगा जब अपात्र शिक्षकों की खबर अमर ज्वाला ने प्रकाशित एक बार नही बार की गई तो वो वक्त भी ज्यादा लंबा नही ।

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