दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र सरकार की योजना हाथी के दात हुई साबित
वोट बैंक की राजनीति में ग्रामोणों को बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में रखा है उलझा कर
सुभाष ठाकुर*******
केंद्र और राज्य सरकारों की उन सभी योजनाओं का अर्थ और लाभ ऐसे उन सभी दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा सकता है कि हजारों करोड़ों रूपए की केंद्र और राज्य सरकारों की योजना शहरों तक सिमट जाती और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचते पहुंचते पंचायत घरों की फाइलों के कागजों को काला करने तक योजनाओं को 100 प्रतिशत दर्शाई जाति है। जिसका परिणाम इस फोटो में देखा जा सकता है ।
यह दृश्य मंडी जिले की द्रंग विधानसभा क्षेत्र की सियुन पंचायत के सतनोग गांव का है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने हर घर अपने शौचालय का निर्माण किया हुआ है । लेकिन जब मालूम किया केंद्र की हर घर योजना उन तक किसी ने नहीं पहुंचाई हुई है ।
द्रंग विधानसभा क्षेत्र में 2017 से बीजेपी विधायक के नेतृत्व में हर घर शौचालय केंद्र सरकार की योजना का लाभ सियून पंचायत के सतनोग गांव के लोगों को बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में वांट कर राज्य तथा केंद्र सरकारों की उन सभी महत्वकांक्षी योजनाओं से वांछित रखा हुआ है । गांव को सड़क मार्ग तक अभी जोड़ा हुआ है जिस पर गाडियां चलाना बेहद मुश्किल है , लेकिन ऐसे दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों के विकास कार्यों की फाइलों के खंड कार्यलय में जांचा जाए तो सब से अधिक विकास उन्ही दुर्गम क्षेत्रों के नाम पैसा खर्च किया हुआ दर्शाया जाता है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक की राजनीति में ग्रामोणों को बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में वांट कर रखा हुआ है । ग्रामीण क्षेत्रों के भोलेभाले लोग इसी उलझन में उझकर रहे हैं और क्षेत्र के विकास में भी कई आपसी अड़चने विकास की गति में रोड़ा अटका अटका रखते हैं
केंद्र सरकार की जलजीवन मिशन योजना का खाका जांचा जाए तो लाखों रुपए के फर्जी बिल पास किए हुए पायेजाएंगे।
प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब देश की सत्ता की गद्दी संभाली थी तो पहली बार 15 अगस्त 2014 को उनकी सबसे स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर शौचालय योजना को शुरू किया हुआ है । केंद्र की इस योजना में शहरों में तो सख्ती से लागू किया गया जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर शौचालय योजना का मजाक बना कर खंड अधिकारियों द्वारा कागजों की खाना पूर्ति कर योजना को शत प्रतिशत दिखा कर केंद्र की योजना के अरबों के ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे ।
हर घर शौचालय योजना का असर तो जरूर हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों यह योजना वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप खड़ा किया गया है जब कि केंद्र सरकार द्वारा एक शौचालय के लिए हजारों रुपए ब्लॉक के माध्यम से जारी किया गया है । देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि केंद्र से किसी योजना का 1 रूपया जारी होता है तो बीच में ही 85 गायब हो जाता है 15 पैसा ही धरातल पर उतरपाता है । वही स्थिति प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के 9. 7 साल के कार्यकाल में भी देखा गया है । वह चाहे हर घर शौचालय योजना हो या जल जीवन मिशन घर घर स्वच्छ नल योजनाओं पर अरबों रुपए खर्च हुए हो लेकिन धरातल पर हाथी के दातों की तरह साबित हुए हैं।
योजना शुरू कर योजनाओं का लाभ आखिर में खड़े हुए व्यक्ति को