सपनों को साकार करने की प्रेरणादायक कहानी: हिमाचल ऐग्रीकल्चर इनपुट के संस्थापक संजय भारद्वाज

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की जोगिंदर नगर विधानसभा क्षेत्र के मतेहड़ पंचायत के छोटे से गांव अरला के रहने वाले संजय भारद्वाज ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो हर सपने देखने वाले के लिए प्रेरणा है। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे और सीमित संसाधनों के बीच पले-बढ़े संजय ने साबित कर दिखाया कि सपनों को साकार करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और निरंतर प्रयास ही सबसे बड़ा हथियार है।

शुरुआती संघर्ष और बड़ी सोच

अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद संजय भारद्वाज ने नौकरी की तलाश में दिल्ली का रुख किया। दिल्ली में उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग की नौकरी शुरू की। कई कंपनियों में काम करते हुए उन्होंने अपने अनुभव को निखारा, लेकिन उनका सपना हमेशा से खुद का व्यवसाय शुरू करने का था। हालांकि, पारिवारिक परिस्थितियां और सीमित संसाधन इस राह में बाधा बने।

संजय ने यह ठान लिया कि वह एक ऐसा काम करेंगे, जो समाज और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक हो। उन्होंने महसूस किया कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग न केवल फसलों की गुणवत्ता खराब कर रहा है, बल्कि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इस विचार ने उन्हें जैविक, बायो और बॉटैनिकल खादों के क्षेत्र में काम शुरू करने के लिए प्रेरित किया।

जहरमुक्त खेती’ की शुरुआत

‘जहरमुक्त उगाओ, स्वस्थ खाओ’ के नारे के साथ उन्होंने हिमाचल ऐग्रीकल्चर इनपुट की स्थापना की। शुरू में उन्हें किसानों को जैविक उत्पादों के फायदे समझाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन उनकी लगन और मेहनत का नतीजा यह हुआ कि आज उनकी कंपनी हिमाचल प्रदेश में जैविक खाद और बायो पेस्टिसाइड्स के लिए एक विश्वसनीय नाम बन चुकी है।

नए उत्पादों की लॉन्चिंग

संजय भारद्वाज ने जैविक उत्पादों की सफलता के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कदम रखा। उन्होंने हाल ही में सीबकथोर्न जूस और ऐप्रीकॉट (खुमानी) जूस लॉन्च किए हैं। ये जूस पूरी तरह से प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक हैं। सीबकथोर्न जूस को अपने पोषण और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। वहीं, ऐप्रीकॉट जूस विटामिन और खनिजों से भरपूर है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। इन जूसों को हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता और स्थानीय फलों से तैयार किया गया है, जिससे यह पूरी तरह से प्राकृतिक और शुद्ध उत्पाद हैं।

किसानों और पर्यावरण के लिए योगदान

आज हिमाचल ऐग्रीकल्चर इनपुट किसानों को ऐसी तकनीक और उत्पाद प्रदान कर रही है, जो न केवल उनकी लागत कम करते हैं, बल्कि उनकी फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ाते हैं। संजय का मानना है कि जैविक खेती ही भविष्य है, जो पर्यावरण और मानवता दोनों के लिए फायदेमंद है।

प्रेरणा का स्रोत

संजय भारद्वाज की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखता है। उनकी मेहनत और दृढ़ता ने उन्हें न केवल एक सफल उद्यमी बनाया, बल्कि हजारों किसानों और उपभोक्ताओं के लिए उम्मीद की किरण भी। आज उनकी कंपनी हिमाचल प्रदेश में जैविक और प्राकृतिक उत्पादों के क्षेत्र में अग्रणी है।

      संजय का यह सफर न केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानी है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति योगदान का एक अद्भुत उदाहरण भी है। उनका कहना है कि सही सोच और प्रयासों से हर सपना साकार किया जा सकता है।

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