चरस बरामदगी का अभियोग साबित न होने पर आरोपी बरी

अमर ज्वाला // मंडी

चरस बरामद होने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया है। विशेष न्यायधीश सुंदरनगर के न्यायलय ने कुल्लू जिला की बंजार तहसील के गांव बेहलो (बाहू) निवासी महेन्द्र सिंह पुत्र करम सिंह के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 20 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी करने का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार सुंदरनगर पुलिस थाना का दल 2 दिसंबर 2015 को बीबीएमबी झील के पास शीशमहल के नजदीक कपाही लिंक मार्ग पर गश्त के लिए तैनात था। इसी दौरान पुलिस ने कपाही मार्ग से आ रहे एक व्यक्ति को देखा। वह व्यक्ति पुलिस दल को देख कर घबरा गया और मुड़ कर वहां से जाने लगा। जिस पर पुलिस दल ने आरोपी को काबू करके उसके बैग की संदेह के आधार पर गवाहों के सामने तलाशी ली। बैग की तलाशी के दौरान पुलिस को इसमें रखे एक कैरी बैग में 372 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस के तहत मामला दर्ज करके उसे हिरासत में लिया था। अभियोजन की ओर से आरोपी के खिलाफ अदालत में चलाए गए अभियोग के दौरान 9 गवाहों के ब्यान कलमबंद करवाए गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता समीर कश्यप का कहना था कि इस मामले में एनडीपीएस की धारा 52-ए के प्रावधानों की अनुपालना नहीं की गई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह अविवादित तथ्य है कि पुलिस की तहकीकात के दौरान एनडीपीएस की धारा 52-ए के जरूरी प्रावधानों की मानना नहीं की गई है। इस प्रावधान के तहत आरोपी से बरामद चरस की इन्वैंटरी का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए मैजिस्ट्रेट के पास पेश किया जाना जरूरी था। लेकिन पुलिस ने यह कार्यवाही अम्ल में ही नहीं लायी। विशेष अदालत ने यूसुफ उर्फ आसिफ बनाम स्टेट मामले में सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के अनुसार उक्त प्रावधानों की मानना को आवश्यक माना। इसके अलावा अभियोजन पक्ष के गवाहों ने विरोधाभासी ब्यान दिए हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ चरस बरामदगी का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित नहीं हुआ है। जिसके चलते अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया है।

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