एसपीयू की मंडी की प्रो वाइस चांसलर को न्यायालय ने दिया झटका , असाधारण अवकाश की याचिका हुई खारिज

***एसपीयू की मंडी की प्रो वाइस चांसलर को न्यायालय ने दिया झटका , असाधारण अवकाश की याचिका हुई खारिज
***विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद द्वारा अधिकतम पांच वर्ष से अधिक असाधारण अवकाश कर सकतीं है प्रदान।

***केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी बंसल 2012 से शिमला विश्वविद्याल से चल रहे असाधारण अवकस पर ?

अमर ज्वाला //मंडी

सत्ता का प्रभाव भी वैसा ही होता है जैसे आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चर्चा को प्रेस दिवस पर विशेष विषय बनाकर पत्रकारों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा की गई।

यह वैसा ही है जैसे सत्ता के नशे में चूर चूर होकर जब कोई इंसान लक्ष्मण रेखा को लांघ कर अपनी सभी सीमाओं को भूलकर हिटलर की तरह कार्य करता है ।         हिमाचल राज्य उच्च न्यायलय के आए हुए फैसले से मंडी सरदार पटेल विश्वविद्यालय की प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉक्टर अनुपमा की असाधारण अवकाश की याचिका खारिज कर दी है।

न्यायलय ने साफ कहा है कि याचिकाकर्ता की याचिका में लगाए हुए आरोपों में ऐसा कुछ भी द्वेषपूर्ण तथ्य नही पाया गया , और कोर्ट ने साफ किया कि छुट्टी सेवा शर्तो के अधीन होती है। सेवा की अनिवार्यता पर इसे नियोक्ता कभी भी रद्द अथवा अस्वीकार कर सकता है विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद ।

प्रो वाइस चांसलर को 20 अप्रैल 2022 के आवदेन के तहत 21 अप्रैल 2021 से 20 अप्रैल 2025 तक असाधारण अवकाश (इएलओ) बिना वेतन के साथ विश्व विद्यालय की कार्यकारी परिषद की अपनी बैठक में प्रदान की जय थी।
उक्त निर्णय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा कार्यलय के आदेश 17 अगस्त 2022 को सूचित किया हुआ था।
विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने अपनी बैठक में दिनाक 6 मार्च 2023 में लिए गए निर्णय के तहत प्रो वाइस चांसलर की असाधारण अवकाश रद कर शिमला विश्वविद्यालय में अपने पद पर ज्वॉइन करने के आदेश दे दिए थे।
लेकिन प्रो वाइस चांसलर द्वारा अपने असाधारण अवकास के मामले की याचिका राज्य उच्च न्यायलय में दायर कर डाली थी
मामले की सुनवाई करते हुए राज्य उच्च न्यायलय ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय के आदेश को ध्यान से समझा जाए तो उसमे यह भी लिखा हुआभाई कि विश्वविद्यालय एक प्रोफेसर को तीन वर्ष एक समय तथा दो वर्ष दूसरी बार असाधारण अवकाश प्रदान कर सकती है । लेकिन केंद्रीय विश्व विद्यालय के वीसी एसपी बंसल तो 2012 से शिमला विश्वविद्यालय से असाधारण अवकाश पर कैसे चल सकते हैं ?
सरदार पटेल विश्वविद्यालय की प्रो वाइस चांसलर की असाधारण अवकाश की याचिका न्यायलय द्वारा खारिज करते हुए आम जनता का विश्वास कानून के प्रति विश्वास जगाया हुआ है।
सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी, हिमाचल प्रदेश में प्रो-वाइस चांसलर के पद पर की जिम्मेवारी का निर्वाह करने वाली शिमला विश्व विद्यालय में कार्यरत पब्लिक एड की प्रोफेसर  डॉक्टर अनुपमा को 21 मार्च 2022 को मंडी की एसपीयू के प्रो-वाइस चांसलर के रूप में उनकी नियुक्ति उक्त विश्वविद्यालय के चांसलर द्वारा दिनांक 20.04.2022 के आदेश के तहत की गई थी।
एसपीयू के प्रो-वाइस चांसलर के रूप में उनकी नियुक्ति पूर्व की बीजेपी सरकार में हुई थी। याचिकाकर्ता ने 17 सितंबर, 2019 से तीन साल के लिए असाधारण अवकाश (ईओएल) देने के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन किया था। 21.04.2022 से 20 अप्रैल 2025 तक थी याचिकाकर्ता ने असाधारण अवकाश के लिए अपना आवेदन दिनांक 24.05.2022 के माध्यम था।
विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (संक्षेप में ‘ईसी’) ने 20.जुलाई 2022 को हुई अपनी बैठक में लिए गए निर्णय के तहत याचिकाकर्ता को 21. मार्च 2022 से 20.04.2025 की अवधि के लिए असाधारण छुट्टी (बिना वेतन) प्रदान की थी उक्त निर्णय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा कार्यालय आदेश दिनांक 17. अगस्त 2022 द्वारा सूचित किया गया था।
प्रदेश में बीजेपी की सत्ता परिवर्तन होते ही हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालयों में 2019 के बाद हुई प्रोफेसरों , सहायक प्रोफेसरों तथा एसोसिएट प्रोफेसरों की भर्तियों में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के मामले की शिकायत प्रधानमंत्री मोदी पूरे दस्तावेजों के साथ मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के पूर्व मंडलाध्यक्ष द्वारा की हुई थी। मंडी एसपीयू में हुई शिक्षकों और गैर शिक्षकों की नियुक्तियों की आरटीआई लेकर बहुत बड़ा खुलासा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को एक शिकायत कर निष्पक्ष जांच मांगी हुई थी। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की बीजेपी सरकार मामले में लीपापोती करती हुई जांच को टालमटोल कर दिया था । सत्ता परिवर्तन होते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के पहले ही विधानसभा सत्तर में मंडी जिले के एक मात्र विधायक चंद्र शेखर ने सदन में मंडी सरदार पटेल मंडी में प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों तथा एसोसिएट प्रोफेसरों की फर्जी नियुतियों का मामला उजागर करते हुए यह बात भी बोली थी कि इस मामले पर एक क्लर्क भी निष्पक्ष जांच कर पात्र और अपात्र की पहचान कर लेगा।

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