प्रदेश सरकार के नाम क्रैक एकेडमी पसार रही हिमाचल में अपने पांव, 6 लाख से 10 लाख रुपए वसूल कर मिलेगी सेंटर संचालन की अनुमति

सुभाष ठाकुर*******

21वीं सदी ने शिक्षा की दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव लाया है। वो दिन चले गए जब पढ़ाई सिर्फ़ क्लासरूम तक ही सीमित थी। 4G और 5G इंटरनेट ने सीखने के बुनियादी तरीके में एक बहुत बड़ा बदलाव ला दिया है। इंटरनेट ने शिक्षा को विश्वविद्यालयों की पवित्र दीवारों से परे हर किसी की हथेलियों तक पहुँचा दिया है। ऑनलाइन शिक्षा के क्रांतिकारी बदलाव की आड़ में सरकारी तंत्र के साथ कई शिक्षा व्यवसायकों द्वारा खूब लूट मचानी शुरू की हुई है।

शिक्षा ,स्वास्थ्य और धर्मजाति के नाम पर अमर ज्वाला हमेशा गंभीरता से खबर की हकीकत को बयान करती रही है। एक बार फिर हिमाचल प्रदेश के पढ़े लिखे युवाओं के अभिभावकों को खबर की हकीकत से रूबरू करवा रही है।

देश के पढ़े लिखे युवाओं के अभिभावकों से सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं की तैयारियों के नाम से कई व्यवसायिक एकेडमिक संस्थाओं द्वारा मोटी कमाई का धंधा चलाया हुआ है। ऐसी शिक्षण एकेडमिक संस्थाएं  सरकारों के प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत बिना फलीभूत हो नहीं सकते हैं। ऐसी एकेडमिक संस्थाएं सबसे पहले राज्य सरकार के प्रभावशाली नेताओं और उसके बाद सरकार के प्रभावशाली अधिकारियों को मलाई चटाई जाती है , ताकि सरकारी तंत्र से सभी नियमों की अनुमतियों की औपचारिताऐं पूरी हो सके।

एकेडमिक का संचालन करने के लिए जैसे ही सभी औपचारिताओं को पूरा किया जाता है , एकेडमी के व्यापारी को मानों की देश के हर राज्यों में उन्हें उनकी दुकानें चलाने का लाइसेंस दे डाला है। जिसका प्रचार मीडिया क्षेत्र में विभिन्न समाचार पेपरों में दशकों तक कार्य कर चुके वैसे लोगों द्वारा क्रैक एकेडमी का प्रचार प्रदेश की जनता में किया जा रहा है। जबकि यह क्रैक एकेडमी एक निजी व्यक्ति  चंडीगढ़ से संचालित की जा रही है।

जिसका परिणाम हिमाचल प्रदेश के हर शहर में क्रैक एकेडमी के सेंटर प्रदेश सरकार के नाम की आड़ में खोलने का प्रदेश में ऐसे प्रचार किया जाने लगा है जैसे यह योजना राज्य सरकार द्वारा कोई योजना शुरू कर दी गई है।

अमर ज्वाला ने क्रैक एकेडमी द्वारा किए जा रहे हिमाचल सरकार के साथ हुए समझौता ज्ञापन के प्रचार पर गहनता से जानकारी जुटानी शुरू की तो मालूम हुआ कि प्रदेश सरकार के नाम से मेरे शहर से 100 रत्न स्कॉलरशिप बताया जा रहा है और पूरे प्रदेश में 6800 रत्न स्कॉलरशिप बताए जा रहे हैं।

क्रैक एकेडमी द्वारा अपने फेसबुक पेज पर प्रदेश सरकार का नाम ऐसे  प्रचार किया जा रहा है कि जैस यह प्रदेश सरकार की अपनी योजना है जबकि क्रैक एकेडमी की  हकीकत यह है कि चंडीगढ़ के नीरज कॉन्सल है जिन्होंने दो बार यूपीएससी क्रैक किया हुआ है, द्वारा पिछले 17 वर्षों से एकेडमी का संचालन किया जा रही है।

एकेडमी द्वारा सभी सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है। जैसे बैंकिंग ,रेलवे, यूपीएससी तथा अन्य सभी परीक्षाओं की तैयारियों करवाई जाती है।

यह जानकारी क्रैक एकेडमी से आए हुए फोन में बताई गई है कि हिमाचल प्रदेश के सर्विस कमीशन की सभी तैयारियां करवाई जाती है। छठी कक्षा से दसवीं कक्षा के तैयारी भी करवाई जाती है।

एक शहर में एक सेंटर

बताया गया कि सबसे पहले क्रैक एकेडमी की एक टीम आयेगी शहर में आयेगी और वह जांच करेगी कि 600 से 800 स्क्वायर फिट के एरिया का भवन होना अनिवार्य होना चाहिए । सेंटर चलाने के लिए 6 से 10 लाख रुपए की वसूली बताई गई जिससे सेंटर को सजाया जाएगा और एक स्क्रीन पर ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जाएगी।

सच्चाई यह है कि जब ऑनलाइन पढ़ाई करवानी है तो वह हजारों रुपए सेंटर मालिक को मासिक फिर जमा क्यों करेगा ?

हजारों एकेडमी द्वारा ऑनलाइन स्मार्ट फोन पर घर बैठे ही लाखों युवाओं द्वारा आए दिन अपनी परीक्षाओं की तैयारियों शुरू की हुई है। लेकिन यह प्रदेश सरकार के नेताओं और अधिकारियों को नजर क्यों नहीं आ रहा है कि निजी एकेडमी द्वारा प्रदेश सरकार के साथ कैसा समझौता ज्ञापन हुआ है जिसमें 34 करोड़ का खर्च होने का प्रचार किया जा रहा है और हर शहर से 100 रत्न स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत प्रदेश में 6800 रत्न स्कॉलरशिप  फ्री पढ़ाई की जाएगी।

क्रैक एकेडमी द्वारा शहर में सेंटर चलाने से पहले 6 से 10 रूपये मांगे जाएंगे, उसके बाद जब सेंटर के संचालन में होने वाली कमाई से 34 प्रतिशत की सेंटर संचालन वाले को क्रैक एकेडमी को देना होगा।

सेंटर में होने वाली ऑनलाइन पढ़ाई अध्यक्षों का वेतन केक एकेडमी द्वारा अदा करने के जानकारियां क्रैक एकेडमी के टोलफ्री नंबर से आए फोन से जानकारी दी गई है।

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