मेरे पिता ..
“वो जो कभी थके नहीं…”
वो जो सुबह से पहले उठते थे,
और रात सबसे बाद में सोते थे,
न कोई शिकायत, न कोई चाह,
बस हर दिन हमें हँसते हुए देखते थे।
ना बोले कभी कि थक गए हैं,
ना जताया कि दर्द में हैं,
हर जिम्मेदारी को सिर पर लिया,
जैसे कोई ऋषि ध्यान में हैं।
जूतों की जगह छाले पहने,
सपनों की जगह मेरे सपने गिने,
अपने ख्वाबों को बक्से में रख,
मेरे लिए नित नये रास्ते चुने।
पिता…
तुम्हारा प्यार कभी चुपचाप बहा,
न आँखों में, न बातों में,
बस हर उस कोने में मिला
जहाँ तुमने खुद को खोया… और हमें पाया।
मुझे याद है वो पुराने कपड़े,
जो तुम पहनते थे हर साल,
“नई कमीज़ तू पहन ले बेटा…”
कहकर मुस्कुरा जाते थे हर बार।
तुमने मुझे गिरने नहीं दिया,
चाहे खुद कितनी बार गिरे हो,
तुमने मेरी उंगली पकड़कर
पूरी ज़िंदगी का सफर तय किया।
आज जब मैं दुनिया की भीड़ में खड़ा हूँ,
तो समझ आता है —
वो पहला कदम मेरा नहीं था,
वो तो तुम्हारा हाथ था… जिसमें मैं था।
“पापा, आप सिर्फ मेरे पिता नहीं,
आप मेरी आत्मा का मजबूत हिस्सा हो।
आपके बिना मैं अधूरा हूं —
और आपके जैसा बनने की कोशिश ही
मेरे जीवन की सबसे बड़ी साधना है।”**
पिता दिवस पर कोटि-कोटि नमन।
हेमंत मनोहर लाल मोराने, हरदा मप्र