सुभाष ठाकुर*******
मंडी – कुल्लू, पठानकोट से मंडी के बीच फोरलेन निर्माण कार्य कहीं जोरों पर तो कहीं वर्षों से धीमीगती से चला हुआ है।
लेकिन फोरलेन निर्माण में लगी विभिन्न कमानियों के कहीं पुल तो कहीं डंगे ढह चुके हैं। नैशनल हाई वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के गुणवत्ता निरीक्षण दल की रिपोर्ट पर भी उठने लगे है कि यह गुणवत्ता की कैसी रिपोर्ट दे कर निर्माण कार्य को अनुमति प्रदान करते हैं कि किसी के पुल ध्वस्त हो चुके कई डंगे गिरने लगे हुए वह भी किसी आपदा और बरसात के बिना ।


यह सवाल प्रोजेक्ट निर्देशक पर उठते हैं कि ऐसी कमानियों को आजतक और ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया गया जिन्होंने घटिया और निम्नस्तर की गुणवत्ता का निर्माण कार्य को अंजाम दिया गया।
मंडी -पठानकोट के बीच निर्माणधीन फोरलेन निर्माण कार्य में लगी गाबर कम्पनी के डंगे बारात आने से पहले ही ढहने लगे । NHAI के इंजीनियर साईट निर्माण कार्य की गुणवत्ता का निरीक्षण देखने वाले भी कंपनी और ठेकेदारों के साथ मलाई चट करने में व्यस्त हुए हैं।
यही कारण है कि मंडी – जोगिंदर नगर ,पठानकोट के निर्माणाधीन फोरलेन कार्य की रिपोर्ट के माध्यम से आलाधिकारियों को गुमराह किया जा रहा है।
निर्माणाधीन के दौरान कभी ढंगें ढह रहे हैं ,कभी टायरिंग उखड़ रही है। मोहड़धार के पास गावर कम्पनी द्वारा लगाया गया डंगा आज ही गिरा चुका है।
ऐसा जगह जगह हो रहा है कि गाबर कम्पनी स्थानीय लोगों के आशियानों के लिए भी कई मुश्किलें लेकर आया है । स्थानीय लोगों के कभी रोजमर्रा के रास्ते खत्म कर दिए है। कई लोगों के घरों की नींव हिलाकर घरों की दीवारें कमजोर कर दी हुई है। यह तब हुआ है कि कंपनियों द्वारा अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ियों की दोनों तथा कटिंग करने के कारण हुआ है ।
स्थानीय लोगों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं बड़ी बड़ी कम्पनियां NHAI के आलाधिकारियों को खुश करने में लगी रहती है , यही कारण है कि फोरलेन निर्माण से प्रभावितों की सुनवाई बिल्कुल नहीं हो रही है।
प्रशासन को चाहिए कि ब्लॉक स्तर पर साप्ताहिक मंच लगाकर प्रभावितों की सुनवाई कर समाधान करना चाहिए। किसी की सड़कें बंद कर रखी है, किसी के पेय जल पाइपें तोड़ डाली है। किसी के घरों की नीवें अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ियों की कटिंग करने से कमजोर किया जा चुका है।
कंपनियों की मनमानी के कारण लोगों को लाखों रुपए खर्च कर न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।
NHAI के प्रोजेक्ट मैनेजर वरुण चारी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को एफिडेविट दे कर कहा है कि नेरचौक से कुल्लू तक सभी अवैध निर्माण को हटा दिए हुए हैं , सच्चाई तब सामने आई दो दिन पूर्व एक सेवा भारती के पदाधिकारी द्वारा प्रोजेक्ट निर्देशक के कार्यालय में जाकर पोल खोली गई।

पण्डोह के साथ जहां पुल भी गिर चुका वहीं पर एक मकान खड़ा हुआ है उसे कंपनी द्वारा रोड भी बनाकर दिया हुआ है।
सेवा भारती के पदाधिकारी एक समस्या को लेकर बार बार मिलना चाहते थे तो प्रोजेक्ट निर्देशक मिलना ही नहीं चाहते थे । उन्हें कहा जाता था कि प्रोजेक्ट निर्देशक वीडियो कॉन्फ्रेंस में बैठे हैं । वह वालिस आ जाते थे ,एक दिन उन्होंने मन बना लिया कि आज प्रोजेक्ट निर्देशक से मुलाकात करके ही वालिस आयेंगे। वहां पहुंच कर फिर से सुनने को मिला कि प्रोजेक्ट निर्देशक वीडियो कॉन्फ्रेंस में व्यस्त हैं। जब प्रोजक्ट निर्देशक के दरवाजे के पास खड़े चौकीदार बार बार यही बोलते रहे तो सेवा भारती के पदाधिकारी जबरन अंदर घुसे तो देखा कि प्रोजेक्ट निर्देशक अपनी कुर्सी पर नहीं बल्कि बाथरूम से निकले और हक्केबके रह गए ।
….बोले कि आप अंदर कैसे आए। फिर जो हुआ वह शायद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तक बात पहुंचने से रही बात यहां तक नौबत आन पड़ी थी।
प्रोजेक्ट निर्देशक ने बात सुनी और सच्चाई जानकर हैरान हुए। बोले कि कम्पनी किसी भी स्थानीय लोगों के रास्ते बंद नहीं कर सकती है।
मामला मंडी से पण्डोह के बीच हाल के एम सी कम्पनी द्वारा निर्मित पुल का एक हिसा रात्रि को गिरजाने के बाद क्या कार्यवाही हुई किसी को कोई जानकारी नहीं । वहीं पर एक स्थानीय भूपेंद्र गुलेरिया के घर जाने वाला रास्ता काफी दिनों से बंद कर रखा हुआ था । रास्ता खुलवाने के लिए कुछ लोग जिसमें सेवा भारती का एक पदाधिकारी और अन्य दो लोग प्रोजेक्ट निर्देशक से जा मिले थे।
जब मामला साईट पर पहुंच कर फिर से सेवाभारती के पदाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवा निवृत जन समाधान केंद्र के संयोजक बीआर कोंडल तथा अन्य लोग वहां पर पहुंचे तो कंपनी वालों ने पुलिस दल बुला दिया।
स्थानीय लोगों ने जब जनसमाधन केंद्र के साथ पहुंचे हुए लोगों का समर्थन मिला तो स्थानीय निवासी भूपेंद्र गुलेरिया के घर के लिए रास्ता खुलवाने को कहा गया।