चौहार घाटी की शिल्हबुधानी  पंचायत के स्वाड गांव के लोग रात भर डरे सहमे रहे

ओपूरा गांव एक दूसरे के ऊंचे स्थानों वाले घरों में इक्कठा रह कर बिताई रात,

सुभाष ठाकुर*******

चौहार घाटी की दुर्गम शिल्हबुधानी पंचायत के स्वाड गांव में 7 जुलाई 1993 को हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी त्रासदी का खौफनाख मंजर को देख कर पूरा हिमाचल इस त्रासदी से अवगत भी हुआ कि बादल कैसे फटा ?

1993 के बाद फिर कुछ कुछ सालों बाद यह बादल फटने की घटना इतनी तेजी से बढ़ने लगी हुई है कि 2023 से लेकर तो हर साल ही बरसात रेड अलर्ट की तरह देखने लगे हैं।

पर्यावरण से छेड़छाड़ इसका तथा वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग इसके मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

चौहार घाटी में 7 जुलाई 1993 को

बादल फटने से गांव के 16 लोगों की जाने गई और कई घर तथा सैकड़ों बीघा कृषि भूमि का नामोनिशान मिटा दिया था। उस दौरान लोगों ने जो देखा कि बादल फटने से जो जलस्तर का बहाव होता है वह किसी सुपरसौनिक रफ्तार से कम नहीं होता है। जो कुछ भी उस दौरान उसकी चपेट में आए सब ध्वस्त है जाता है।

5 जुलाई की रात को 12:30 देर रात भारी बारिश के चलते भुवुजोत के साथ बादल फटने से पंचायत इस नाले के बड़े जलस्तर ने सभी छोटे पुलों को अपने साथ बहा ले गया। स्वाड गांव के सभी लोग रात भर डरे और सहमे रहे । गांव में जिसके घर ऊंचाई वाले स्थानों में सभी दूसरे के घरों में इकठ्ठा हो कर रहे।

सभी घाटी के आराध्य देवता श्री हुरंग नारायण का नाम का जाप करते रहे।

सुबह जब देखा तो 1993 के मंजर की याद नाले ने ताजा की ओर गांव वाले नाले को देख कर हैरान रह गए।

चौहार घाटी की शिल्हबुधानी पंचायत के स्वाड नाले में फटा बादल, छोटे पुल सभी बहा ले गया ,कोई जानी नुकसान नहीं। 7 जुलाई 1993 के फिर फटा उसी स्वाड नाले में बादल , कोई जानमाल का नुकसान नहीं ,रात को सूचना दी गई थी कि ट्राउट फार्म हाउस को नुकसान हुआ लेकिन देर रात से फार्म हाउस बचाव में जुट गए फॉर्महाउस मालिक , अभी अभी जानकारियां मिली कि लगभग 40 क्यूंटल ट्राउट मच्छियों को बचाना में कामयाब हो चुके हैं।

ट्राउट फार्म हाउस में आने बाली स्वाड नाले में बादल फटने ने आए मलबे ने सप्लाई पाइपों को बहा ले जाने के बाद फॉर्महाउस में पानी की सप्लाई बंद होने से मच्छियां मरने लगी थी ।

भारी बारिश के चलते मान सिंह पगलानी ने गांव के घरों ड्रेन का पानी फॉर्महाउस में सप्लाई दी और मच्छियों को रात के अंधेरे से कुछ घंटों के लिए बचा लिया । सुबह होते ही फिर से नई पाइपों को नाले से जोड़ कर अपने फार्म हाउस को बचाने में कामयाब हो चुके हैं।

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