सरकार की अनुबंध नीति का कड़ा विरोध , कर्मचारियों का हर माह नियमितीकरण होना अनिवार्य : डॉक्टर बनीता सकलानी

हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ की अध्यक्षा डॉ बनिता सकलानी ने कर्मचारियों की अनुबंध नीति को निरस्त करने की मांग कर डाली है। 

सरकार द्वारा प्रदेश अनुबंध कर्मचारियों को वर्ष में केवल एक बार नियमित करने के निर्णय का जो हाल ही में निर्णय लिया हुआ है उसे निरस्त करने की मांग कर डाली है ।

हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ की अध्यक्षा डॉ. बनिता सकलानी ने सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है । उन्होंने कहा कि पहले ही कर्मचारी अनुबंध का दंश झेल रहा है, ऐसे में यह निर्णय उनके मनो मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। कर्मचरियों को दो वर्ष से ज्यादा का समय अनुबंध पर काटना पड़ेगा। उन्होंने कहा है कि संघ यह मांग करता है कि अनुबंध कर्मचारियों को दो वर्ष पूरे होते ही नियमित करना चाहिए जिसके लिए नियमितीकरण प्रक्रिया हर महीने होनी चाहिए। जब तक हर महीने नियमितीकरण प्रक्रिया नहीं होती तब तक पुरानी व्यवस्था जिसमें कर्मचारी वर्ष में दो बार नियमित होते थे, वही रखे जाने का आग्रह डॉ. सकलानी ने प्रदेश सरकार से किया है। इसके अलावा इन्होने सरकार से माननीय न्यायालय द्वारा महाविद्यालय प्राध्यापकों के हित में उनके प्रारंभिक सेवा काल से वित्तीय एवं अन्य लाभ दिए जाने के निर्णय को अक्षरशः कार्यान्वित करने का भी विनम्र आग्रह किया है। इसी के साथ यह भी मांग की है कि प्रदेश सरकार कर्मचारी हित में अनुबंध नीति को निरस्त करे एवं अनुबंध काल के सेवा लाभ सभी अनुबंधकर्मियों को प्रदान करे।

सकलानी ने बताया कि प्रदेश सरकार राज्य के महाविद्यालयों में पीरियड के आधार पर प्राध्यापकों की नियुक्ति करने जा रही है, जो शिक्षा की गुणवता में सुधार लाने में स्थायी एवं तर्कसंगत विकल्प नहीं हो सकता। अतः सरकार को समय- समय पर स्थायी प्राध्यापकों की नियुक्ति हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से करनी चाहिए। इससे प्रदेश के युवाओं के लिए भी स्थायी रोजगार प्रदान होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर प्रत्येक वर्ष प्राध्यापकों की भर्ती करवानी चाहिए। शिक्षा की बेहतरी, समाज, व राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षक की भूमिका है, अतः राष्ट्र निर्माण के लिए कोई वैकल्पिक नहीं अपितु स्थायी व्यवस्था की जरूरत है। इसके साथ ही ट्राइब्यूनल खोलने के निर्णय से कर्मचारी खुश नहीं हैं क्यूंकि इससे कर्मचारियों के मुद्दे सुलझने में अधिक समय लगेगा और उनकी शिकायतें लंबित रहेंगी।

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