सुभाष ठाकुर *******
हिमाचल प्रदेश देव भूमि के नाम से देश और विदेशों में जाना जाता है । प्रदेश में उन सभी ऐतिहासिक देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर स्थापित है जिनका वर्णन रामायण और महाभारत के ग्रंथों में जिक्र हुआ है।
इस पृथ्वी पर चार युग हैं। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। यह हिंदू धर्म का मत है। वर्तमान समय में कलयुग चल रहा है। इस कलयुग में ऋषि मुनियों तथा देवी देवताओं के नाम पर जो मेलों का आयोजन होता है उन मेलों पर इस कलयुग में देवताओं से अधिक मुख्य अतिथि नेताओं को बना कर देव संस्कृति को कुंद करने का कार्य होने लगा है । देव समाज की नीति और नियमों से बडकर भी राजा महाराजाओं से बढ़कर नेताओं का देव समाज करने लगा है । यह तब संभव होता देखा जा रहा है जब देव समाज की मुख्य कमेटियों में राजनीति से जुड़े हुए क्षेत्र के मुख्य लोग शामिल राजनीतिक प्रभाव से होने लगे हैं ।
देव समाज की परंपराओं तथा देव नीतियों पर नेताओं की चाकरी भारी पड़ने लगी है और बदलाव देखा जाने लगा है जो प्रदेश के देव समाज के लिए गंभीर साबित होने वाला है ।
इलाका बदार का “शिवा कुरनू” सबसे बड़े मेले की सांस्कृतिक झलक में प्रभु शुकदेव ऋषि प्रमुखता से शामिल रहते हैं ।
यह मेला बदार घाटी का सबसे बड़ा मेला होता है । यह मेला इलाका बदार में ही स्थित माता घटासनी के प्रांगण में तीन दिन मनाया जाता है । थटा से शुकदेव ऋषि विशेष रूप पधारते हैं । बदार और उतरशाल इलाके के पराशर ऋषि और शुकदेव ऋषि मंडी ,कुल्लू तथा अन्य जिलों के लोगों में बेहद मान्यता है।
देवी देवताओं के यह मेले उस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर से कम नहीं होते हूं । देव समाज की नीति और नियमों को संजोए रखना इस दौर में बेहद मुश्किल होता जा रहा है । आधुनिकता के इस दौर में देवी देवताओं के यह मेले देव समाज से जुड़े हुए लोगों में उत्साह तो होता है साथ ही साथ राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हुए नेताओं देखने और दिखाने की होड़ मेलों के शुभारंभ और समापन की मैराथन में शामिल रहते हैं।
इस पृथ्वी पर चार युग हैं। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। यह हिंदू धर्म का मत है। वर्तमान समय में कलयुग चल रहा है। यूं तो सतयुग में सबसे बड़ा ऋषि की मान्यता होती है और फिर देवता और देवगण ऋषि इस कलयुग में देवताओं को कई जगह पीछे कर नेताओं की सबसे बड़ी आऊ भक्त की जाती है । देव समाज की नीति और नियमों को पीछे कर जब नेताओं की प्रमुखता ज्यादा होती रहेगी तो प्रदेश के देवताओं की मान्यता में कमी देखी जायेगी।
हिमाचल प्रदेश के देव समाज की प्राचीन परम्पराओं की कमेटियों में नेताओं की दस्तक होती रहेगी तो देव समाज की प्राचीन संस्कृति में बदलाव उनकी इच्छाओं के अनुसार भी बदलाव होता जायेगा।
युवा पीढ़ियों में देव समाज में रुचि तो देखी जा रही है लेकिन देव समाज कमेटियों में नेताओं प्रभाव में देव नीतियों में बदलाव कलयुग के इस दौर में देखी जायेगी।
युवाओं के कंधों में देव समाज की प्राचीन परम्पराओं को संजोए रखना किसी चुनौतियों से कम नही होने वाला ।