*** पार्टी की जमीनी हकीकत से हाईकमान बेखबर
*** पार्टी कार्यकर्ताओं में बढ़ता जा रहा आक्रोश , लोकसभा चुनावों में प्रदेश की चारों सीटों में मंडराने लगे बादल।
सुभाष ठाकुर*******
उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी ने ‘एक व्यक्ति एक पद’ का सिद्धांत लागू किया था , इसी सिद्धांत के चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव लडने के लिए राज्यसभा से नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने की खूब चर्चा भी चली रही, लेकिन अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने तक इस्तीफा नही दिया है ।
लेकिन पार्टी आज तक कई राज्यों में यह फैसला लागू नहीं कर सकी ।
हिमाचल प्रदेश की व्यवस्था परिवर्तन करने वाली कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एक नेता एक पद के सिद्धांत को सख्ती से लागू करना चाह रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर एक नेता एक पद के सिद्धांत का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
27 दिसंबर को दिल्ली में बुलाई हुई मीटिंग की चर्चा से नेताओं के समर्थकों द्वारा यह कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी प्रदेशाध्यक्षा को बदला जा रहा है। लेकिन एआईसीसी के पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी से मालूम हुआ है कि पार्टी निकट भविष्य पार्टी हित के लिए कोई भी फैसला कभी भी ले सकती है । लेकिन फिलहाल 27 दिसंबर की मीटिंग को लेकर आने वाले लोकसभा चुनावों की योजना को लेकर हैं। सूत्रों द्वारा यह स्पष्ट कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री एक नेता एक पद के सिद्धांत को सख्ती से लागू करना चाहते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ से जबाव है कि सीडब्ल्यूसी का सदस्य पार्टी हाईकमान ने बनाया है उन्होंने नही मांगा था । पार्टी हाईकामन चाहती है कि उन्हें एक नेता एक पद के सिद्धांत लागू पर पार्टी के राज्य अध्यक्ष के पद से हटाना चाहती है तो वह सीडब्ल्यूसी से हटाकर उन्हे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहने दें।
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व्यवस्था परिवर्तन करने वाली मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार का एक वर्ष पूर्ण हो चुका है । कांग्रेस अपनी दस गारंटियों को भुनाकर सत्ता में आई है।
जनता से यह भी वादा किया हुआ था कि बीजेपी सरकार में सैकड़ों करोड़ों के घोटालों पर कांग्रेस की सरकार सख्ती से काम करेगी , भ्रष्टाचार के सभी मामलों पर सख्ती से कांग्रेस सरकार जांच करेगी।लेकिन अब खामोश बैठी हुई है । जिस से कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जमीनी सत्तर पर प्रदेश की व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है जलशक्ति ,पीडब्ल्यूडी , वन, कृषि विभाग के साथ साथ विश्वविद्यालय में फर्जी प्रोफेसरों की नियुतियाँ पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । जिसका कांग्रेस ने अपने चुनावी प्रचार में जनता को वादा किया था। मात्र
हमीरपुर कर्मचारियों के पेपर लीक मामले पर कार्य किया जा रहा है । कांग्रेस ने प्रदेश युवाओं को हर साल एक लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था , लेकिन वर्ष के कार्यकाल में एक पद नही भर पाई है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं और उन नेताओं का मनोबल भी गिरचुका है जिन्होंने बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचारों को हमेशा उजागर किया हुआ है ।
पार्टी के राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला हिमाचल को समय नहीं दे पाते हैं , शुक्ला सुनी सुनाई बातों से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जमीनी हकीकत से पर्दा डाल कर पार्टी की गुटबाजी को बढ़ावा दे चुके हैं जिसका खामियाजा पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनावों में फिर से सभी चारों सीटों पर हार के बादल मंडराते हुए नजर आने लगे हैं
व्यवस्था परिवर्तन वाली कांग्रेस सरकार में शिमला जिला को सबसे अधिक नेताओं को सरकार के एहम पदों पर लिए जाने से प्रदेश के अन्य जिलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में सरकार और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ आक्रोश पैदा हो चुका है जिसका खामियाजा पार्टी को लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा।
सरकार में कर्मठ नेताओं को शामिल नहीं किया है बल्कि जिन्होंने पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनावों में काम किया है उन्हे सरकार के एहम पदों पर नियुक्ति दी जाने से ही सरकार के खिलाफ युवाओं और कार्यकर्ताओं का आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के कार्यकर्ता जमीनी स्तर से दूर देखे जाने लगे हैं । पार्टी का शीर्ष नेतृत्व समय पर नींद से नहीं जगा तो प्रदेश की सभी चारों लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में जा सकती है ।
सरकार में वरिष्ठ नेताओं और कर्मठ कार्यकर्ताओं को तुरंत शामिल नहीं किया तो कांग्रेस की व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार को बहुत बड़ी क्षति लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद देखने को मिलेगी ।