गौतम दीनानाथ शास्त्री को पार्टी का कफन भी नसीब नही हो पाया

गत मंगलवार को निवास स्थान घाट मट्ठानियुल में द्रंग बीजेपी के पहले विधायक गौतम दीनानाथ शास्त्री  पंचतत्व में जरूर विलीन हो गए परंतु धर्म और जाति के नाम वोट बैंक का राजनीतिक लाभ और नुकसान  देखते हुए बीजेपी ने अपने पूर्व विधायक को मुखाग्नि में शामिल तक नही हो सके।

द्रंग के पहले पूर्व बीजेपी विधायक के दुखद निधन के बाद और मुखाग्नि में शामिल न हो कर एक सवाल खड़ा कर चुके हैं। बीजेपी राजनीतिक विस्तारवादी में इतनी मशगूल हो चुकी है कि सत्ता के लिए इंसानियत और सामाजिक गतिविधियों से बीजेपी नेताओं को कोई सरोकार मायने नहीं रहता है । क्योंकि द्रंग ही नही बल्कि मंडी जिले से गौतम दिना नाथ शास्त्री ने बीजेपी को 1990 के दशक के दौर में जन्मदाता रहे हैं।  बीजेपी अपने ही शुरुवाती दौर के उस नेता को ही भूल गई जो एक वक्त भाजपा का बीज बोने निकलता था तो अपने भाषणों से जनता को मोह लेता था , वो जब भी लड़ा तो विधानसभा सदन में मंडी जिला की अगुवाई करी ! वो नेता जिसने जनसंघ के वक्त से लड़ाई लड़ी और शांता कुमार व जगदेव के दौर में मंडी का प्रतिनिधित्व किया ! आज राजनीति ऐसी हो गई है कि किसी भाजपा नेता को समय ही नहीं लगा की वे इस समय मुखाग्नि देने पहुंचे या किसी के माध्यम से पार्टी का झंडा ही भेज दें बल्कि प्रशासन की ओर से तहसीलदार और पुलिस जरूर मौजूद रही !

इस मौके पर भाजपा का कोई भी बड़ा नेता नहीं दिखा जो दुखद है !मात्र द्रंग के पूर्व विधायक जवाहर जी ही दिखे जो शास्त्री जी के शिष्य होने के नाते पहुंचे !

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