सुभाष ठाकुर*******
चारों दिशाओं में जिसकी नजरें बनी हुई हों एक धुपब्ली बाती जलाने से को धूप – पानी बरसने और रोके, वियाधियों से मुक्ति देने वाले , निः संतान जोड़े की घर संतान देने वाला सभी प्राणियों की रक्षा में लीन प्रभु श्री हुरंग नारायण मंडी की अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि मेले के लिए अपने प्राचीन मंदिर चौहार घाटी के हुरंग गांव के गुरुवार 27 फरवरी की शाम को निकाल चुके हैं।
प्रभु श्री हुरंग नारायण मंडी ही नही बल्कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वालों की अपार आस्था देखने को तब मिलती है जब देश के अलग अलग जगह से देवता के मंदिर में देवता के मंदिर में पहुंचते हैं।
पूर्व की एक शिवरात्रि के आखरी चौहटा बजार में सभी देवती देवता विराजमान हुए थे उस वक्त एक व्यक्ति द्वारा एक खाकी रंग का लिफाफा देवता की प्रतिमा पर चढ़ाया जिस लिफाफे में न्यायधीश श्री संजय करोल लिखा हुआ था।
चौहार घाटी की भोली भाली जनता अपने देवी देवताओं का व्यापारी करण नही बल्कि प्राचीन देव संस्कृति के साथ देव नीति से देव समाज का संचालन सदियों से कर रहे है । यही कारण है कि चौहार घाटी की जनता के साथ देवताओं का आशीर्वाद उस वक्त भी बना रहा जब पूरा हिमाचल वर्ष 2023 की बरसात में आई आपदा के दौरान चौहार घाटी में देवताओं द्वारा सुरक्षा कवच बन कर घाटी की रक्षा की है।
प्रभु श्री हुरंग नारायण के दर्शन साफ मन के साथ करने जीवन सुखमय और सुगम व्यतीत हो जाता है । जैसा मन का भाव वैसा फल प्रभु श्री हुरंग नारायण का फल।
श्री प्रभु हुरंग नारायण देवता की मान्यता मंडी जिला ही नही बल्कि कुल्लू, कांगड़ा ,चंबा के साथ साथ अन्य जिलों के लोगों में आपार श्रद्धा के भाव देखने को मिलते हैं। प्रभु श्री हुरंग नारायण के मंदिर चौहार घाटी के हुरंग गांव में प्रभु के भक्तों का दूर दूर से आना जाना पूरे बारह महीनों में चला रहता है।
प्रभु श्री हुरंग नारायण गुरुवार 29 फरवरी 2024 को देर शाम अपने मंदिर चौहार घाटी के हुरंग गांव से मंडी की अंतराष्ट्रीय महाशिवरात्रि मेले की शोभा बढ़ाने पुरानी मंडी के त्रिलोकीनाथ मंदिर में एक सप्ताह तक विराजमान होंगे।
अपने भक्तों को प्रभु श्री हुरंग नारायण का आशीर्वाद लेने के लिए सुबह और शाम को त्रिलोकीनाथ मंदिर में तथा दिन को पडल कॉलेज ग्राउंड में मेले में प्रभु श्री हुरंग नारायण के दर्शन के लिए उपस्थित रहेंगे।
नोट:- प्रभु श्री हुरंग नारायण के दर्शन जब भी करने हो तो उस समय खुद ही विशेष ध्यान देने की बेहद जरूरत है कि चमड़े के जूते ,वैलेट आदि वस्तुओं के साथ न करें ।दर्शकों को यह बात देवता के साथ आए हुए देवलुओं द्वारा मेले के दौरान कोई नही बता पाएगा लेकिन चौहार घाटी में देवता के पास धूम्रपान , चमडे से बनाई हुई वस्तुओं का निषेद है