करुणामूलक परिवार अपने हितो की आबाज को निरंतर उठाता चला आया है ! लेकिन सरकारों के समक्ष यह परिवार केवल चुनाबो और वोट बैंक तक ही सीमित रह जाते हैं। चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या उपचुनाव या फिर लोकसभा चुनाव।
करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार मीडिया प्रभारी गगन कुमार और सलाहकार शशि पाल का कहना है कि करुणामूलक् परिवारों को केवल वोट बैंक का जरिया ही समझा गया ।
राजनीतिक पार्टियां चुनावों के समय इन परिवारों की लुभाने के लिए आवाज तो बनती है पर सता मिलने के बाद करुणामूलक् परिवारों की कोई गारन्टी नहीं लेता मतलब चुनावों से पहले करूणामूलकों की आवाज हर बड़े-बड़े जनमंचो और अभिभाषणों में उठाई जाती है कि सरकार बनने के पश्चात उनके लिए ऐसी पॉलिसी (नीति) लाई जाएगी | जिससे इन परिवारों को बिना शर्त के एकमूशत नौकरिया मिल सके ।
और जैसे ही चुनाव बीत जाते है वैसे ही बजट हो या अभिभाषण सरकार भूल जाती है कि इन करुणामूलक् परिवारों का कहीं न कहीं सरकार बनाने में योगदान रहा है। बता दें प्रदेश सरकार को बने हुए लगभग डेढ़ साल का समय हो गया लेकिन इन परिवारों के लिए अभी तक न कोई नीति लाई गई और ना ही इन परिवारों को कोई राहत दी गई इतना ही नहीं बजट अभिभाषण में करुणामूलक् शब्द को ही काट दिया गया । इन परिवारों द्वारा सरकार बनने के बाद राजधानी शिमला में होने वाली हर एक कैबिनेट से पहले कई दफा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु से शिष्टाचार भेंट हुई और करुणामूलक नौकरी बहाली के लिए इन परिवारों द्वारा ज्ञापन भी हर बार दिया गया। पर इन परिवारों ने कई बार मुख्यमंत्री को उनका बादा याद भी दिलाया कि जब आपकी सरकार विपक्ष में थी तो जोरो -शोरों से हम परिवारों का मुद्दा उठाया गया। अब उसे आवाज को धरातल में भी उतारा जाए।
आज करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश की बैठक गूगल मीट के माध्यम से संपन्न हुई इस यह बैठक प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार की अगुवाई में इस दोरान मीडिया प्रभारी गगन कुमार मुख्य सलाहकार शशि पाल , और आईटी सेल गुलशन कुमार और प्रदेश भर के करुणामूलक् मौजूद रहे । करुणामूलक् परिवारों का कहना है कि लोकसभा चुनाबो से पहले आगामी कैबिनेट में करूणामूलक परिवारों के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु द्वारा फैसला लिए जाए । ताकि इन परिवारों को दर-दर की ठोकरे ना खानी पड़े । जिससे कि इन परिवारों को राहत मिल सके ।
मुख्य मांगें:-
1) आगामी कैबिनेट में पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 5 लाख आय सीमा निर्धारित की जाए जिसमें एक व्यक्ति सालाना आय शर्त को हटाया जाए ।
2) वित विभाग के द्वारा रेजेक्टेड केसों को कंसिडेर न करने की नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया जाए ।और रेजेक्टेड केसों को दोवारा कंसिडेर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए ।
3) जिन विभागों बोडो निगमो और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नही है उन केसों को अन्य विभाग में शिफ्ट करके नोकरियाँ दी जाए ।
4) क्लास-सी व क्लास-डी में कोटे की शर्त को हमेशा के लिए हटा दिया जाए ।
5) योग्यता के अनुसार क्लास-सी व क्लास-डी के सभी श्रेणियों तकनीकी और गैर तकनीकी सभी पदों में नोकरियां दी जाए ताकि एक पद पर बोझ न पड़े बि
उपरोक्त मांगों के सन्द्रभ में कैबिनेट में मोहर लगाई जाए।