देव संस्कृति पर नेताओं की राजनीति भारी, देवताओं की शाही जलेब में देवता पैदल तो नेता गाड़ियों में क्यों ?

आज मंडी की अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि की पहली शाही जलेब हो या मध्य जलेब हो या फिर अंतिम जलेब सभी जलेबों में सभी देवता सैकड़ों ऐतिहासिक देवी देवता कई किलोमीटर अपने मंदिरों के कई दिनों की पैदल यात्रा चल कर शाही जलेब में शामिल होते हैं और पैदल ही चलते हैं। लेकिन पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनने वाले कुछ मुख्यमंत्रियों को देखा है कि वह देव संस्कृति और देव समाज को कमजोर कर छोड़ कर देवताओं से बड़े बन कर जनता का देवताओं की आस्थाओं से ध्यान हटाकर वीवीआईपी कल्चर नाम की राजनीतिक रोटियां सेंकते हुए देखे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री 80 वर्ष से भी बड़ी उम्र के होते हुए भी पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह देव संस्कृति में लीन रहे और देव समाज को सर्वोपरि रख कर प्रदेश को देव भूमि का दर्जा हमेशा देते रहे और मानते रहे। वह मंडी की अंतरराष्ट्रीय शाही जलेब में गाड़ियों में नही बल्कि देवताओं के साथ पैदल चलते थे । लेकिन उम्र दराज के आखरी एक वर्ष मात्र जबरन उनके सहयोगी नेताओं और उनकी सरकार में मंत्रियों द्वारा उनकी उम्र देख कर एक बार ऐसी गाड़ी में शाही जलेब में शामिल हुए थे । उसके बाद वह विपक्ष में बैठे और लंबी बीमारी के बाद वह स्वर्गवास हो गए ।
पूर्व की बीजेपी सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री हर बार गाड़ियों में चलते रहे देव समाज और देव संस्कृति को पीछे रख कर गाड़ियों में शाही जलेब की शानो शोहखत में लीन रहे।

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