हड़ताल पर बैठे जिला परिषद कैडर कर्मचारियों का नही हुआ वेतन जारी, बोले …..परिवार के खर्चे उठाना हुआ मुश्किल,
अमर ज्वाला//मंडी
हिमाचल प्रदेश के लगभग 4500 जिला परिषद कैडर के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर 18वें दिनों से लगातार पैन डाउन हड़ताल पर बैठे हुए हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा पैन डाउन हड़ताल पर बैठे हुए जिला परिषद कैडर के इन कर्मचारियों के वेतन 17 अक्टूबर की तारीख भी निकल गई लेकिन उनके बैंक खातों में सितंबर माह का वेतन आज तक जारी नही हो पाया है ।
जिला परिषद कैडर के सचिव बोले परिवार का खर्चा उठा भी मुश्किल होने लगा है। पिछले 18 दिनों से पैन डाउन हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों को अपने परिवार के खर्चे का निर्वाह करना मुश्किल होने लगा है ।
सरकार से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर सरकार द्वारा रोक लगाई गई है या फिर मुख्यमंत्री की छवी को खराब करने की कोई साजिश तो नहीं होने लगी है ।जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तो जब विपक्ष में बैठे थे तब भी इन जिला परिषद कैडर कर्मचारियों की हड़ताल में शामिल हो कर आश्वासन दे चुके थे।
पूर्व की शांता कुमार की सरकार के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में यह प्रताड़ना जिला परिषद कर्मचारियों को झेलनी पड़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की सरकार के दौरान भी कर्मचारियों द्वारा की गई हड़ताल के चलते नो वर्क नो पे का फार्मूला शुरू करने से उनकी सरकार चले गई थी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह पूर्व की बीजेपी सरकार में खुद जिला परिषद कैडर की हड़ताल में आश्वासन दे चुके हैं कि वह उनकी मांग को पूरा करेंगे।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही पुरानी पेंशन की बहाली कर दी गई है लेकिन जिला परिषद कैडर के 4500 कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में विलय नही किया गया और छठे वेतन विसंगतियों की मांग कर रहें हैं । जिसके कारण यह कर्मचारी पैंशन के लाभ में नही रखा गया है।
जिला परिषद कर्मचारियों की प्रदेश सरकार से मांग की गई है कि उन्हें पंचायती राज विभाग में विलय किया जाए। ताकि वह 4500 से अधिक जिला परिषद कर्मचारी पैंशन के हकदार बन पाए। जबकि जिला परिषद कैडर में भी सरकार के सभी कर्मचारियों को मिलने वाले सभी लाभ मिलते हैं । लेकिन उन्हें पैंशन का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
जिला परिषद कैडर पैन डाउन हड़ताल पर बैठे हुए कर्मचारियों के वेतन जारी नही करने से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार की छवी अधिकारियों द्वारा खराब करने की कोशिश की जा रही है।क्योंकि प्रदेश सरकार द्वारा हड़ताल पर बैठे हुए कर्मचारियों के वेतन की पाबंदी लगाई ही नही तो वेतन की रोक फिर किस अधिकारी द्वारा लगाई गई है।