भारत रत्न डॉ बी आर अंबेडकर के जन्म दिवस पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया

 

वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग व एनसीसी एयर विंग ने भारत रत्न डॉ बी आर अंबेडकर के जन्म दिवस पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
संगोष्ठी में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष फ्लाइंग ऑफिसर डॉ चमन लाल क्रांति सिंह बतौर बीज वक्ता उपस्थित रहे।
फ्लाइंग ऑफिसर डॉ चमन ने “डॉ बी आर अंबेडकर एक पत्रकार एवं लेखक: मीडिया विमर्श” विषय पर विद्यार्थियों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दी। सहायक प्रोफेसर डॉ चमन ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा- डॉ बी आर अंबेडकर भारत में समावेशित पत्रकारिता के आधार स्तंभ है। भारत रत्न डॉ बी आर अंबेडकर भारत में समावेशित पत्रकारिता के प्रथम संपादक संस्थापक व प्रकाशक है।
भारत रत्न डॉ बी आर अंबेडकर ने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, जनता, समता व प्रबुद्ध भारत जैसे समाचार पत्रों में संपादक, संस्थापक व प्रकाशक की भूमिका निभाकर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
डॉ अंबेडकर ने कहा था
” किसी भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए अखबार की आवश्यकता होती है,
अगर आंदोलन का कोई अखबार नहीं है तो उस आंदोलन की हालत पंख टूटे हुए पंछी की तरह होती है।”
मूकनायक (1920), बहिष्कृत भारत ( 1927), समता (1928) जनता (1930) व प्रबुद्ध भारत (1956) इन पांच पत्रों में बाबा साहब अंबेडकर देश के सामाजिक, राजनीतिक ,आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते थे।
1920 में प्रारंभ किया गया मूकनायक समाचार पत्र भारत के दबे कुचले वंचित गरीब व मूक जनता की आवाज बनकर उभरा है।
समता समाचार पत्र समता सैनिक दल का मुख पत्र था ।
फ्लाइंग ऑफिसर प्रोफेसर चमन ने कहा- डॉ अंबेडकर ने अपने समकालीन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन कार्य किया है। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के बावजूद उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है।
डॉ आंबेडकर असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में चार विषयों में पीएचडी, व 32 से अधिक एकेडमिक डिग्रियों व उपाधियां को प्राप्त किया।
डॉ आंबेडकर के ग्रंथ भारत सहित पूरे विश्व में बहुत पढ़े जाते हैं। डॉ अंबेडकर ने अपने जीवन काल में लगभग 50 से अधिक किताबों व सैकड़ो अनुसंधान व शोधपत्र लिखकर दुनिया में एक मिसाल कायम की है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने डॉ बी आर अंबेडकर के संपूर्ण कार्यों पर 21 खंड हिंदी भाषा में प्रकाशित किये हैं। यह 21 हिंदी खंड महज 10 अंग्रेजी खंडों का अनुवाद है। डॉ अंबेडकर का आधे से अधिक साहित्य अप्रकाशित है, उनके अप्रकाशित साहित्य से 45 से अधिक खंड बन सकते हैं।
भगवान बुद्ध और उनका धम्म उनका ग्रंथ भारतीय बौद्धो का धम्म ग्रंथ है, तथा बौद्ध धम्म मानने वाले देशों में महत्वपूर्ण है।
डॉ बी आर अंबेडकर के शोध ग्रंथ ” द प्रॉब्लम्स ऑफ़ द रूपीस: इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूशन” व डॉ आंबेडकर के प्रपोजल पर भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हुई है।
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन व प्रोफेसर जयांदरे का कार्य डॉ बी आर अंबेडकर की अर्थशास्त्र विषयों में भूमिका से प्रभावित रहा है।
प्रोफेसर चमन ने कहा- डॉ आंबेडकर मराठी, अंग्रेजी, हिंदी, पाली, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड़ व बंगाली भाषाओं के ज्ञाता थे।
1942 में डॉ बी आर अंबेडकर वायसराय काउंसिल के सदस्य रहे। इस दौरान उनके द्वारा किए गए श्रम सुधारो के लिए व देश व दुनिया में जाने जाते हैं। महिलाओं को शिक्षा, संपत्ति, नौकरी, मातृत्व अवकाश व पुरुषों के बराबर अधिकार दिलाने के लिए डॉ बी आर अंबेडकर ने बतौर कानून मंत्री हिंदू कोड बिल लेकर आए थे।
डॉ बी आर अंबेडकर ने महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए भरसक प्रयत्न किये। संसद में हिंदू कोड बिल पास न होने के कारण डॉ बी आर अंबेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
डॉ बी आर अंबेडकर राजनीतिज्ञों के लिए एक उदाहरण है।
डॉ बी आर अंबेडकर को भारत में बुद्ध धम्म को पुनः जीवित करने के लिए जाना जाएगा।
डॉ बी आर अंबेडकर ने महाराष्ट्र के नागपुर में विजयदशमी के अवसर पर तीन दिनों में लगभग 10 लाख लोगों के साथ बुद्ध धम्म में प्रवेश किया था।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष फ्लाइंग ऑफिसर डॉ चमन ने कहा- विद्यार्थियों को डॉ बी आर अंबेडकर के जीवन से सीखने की जरूरत है। डॉ बी आर अंबेडकर ने भारतीय संविधान की रचना कर भारत देश को महान लोकतंत्र बनाया है।
फ्लाइंग ऑफिसर डॉ चमन ने कहा- देश व दुनिया भारत रत्न डॉ बी आर अंबेडकर के व्यक्तित्व से सदैव प्रेरणा लेती रहेगी।
डॉ बी आर अंबेडकर पर अनेकों फिल्मे व धारावाहिक बन चुके हैं।
फ्लाइंग ऑफिसर डॉ चमन ने कहा- डॉ बी आर अंबेडकर दुनिया में भारतीय संविधान के जनक, अर्थशास्त्री, पत्रकार, इतिहासकार, शिक्षाविद, कानूनविद, समाजशास्त्री, राजनीतिज्ञ, सामाजिक क्रांतिकारी व भारत के प्रथम कानून मंत्री के रूप में जाने जाते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्र निर्माण व संविधान निर्माण में डॉक्टर बी आर अंबेडकर की भूमिका विषय पर कैडेटों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कैडेट रंजना, कैडेट पल्लवी, कैडेट कनिष्का, कैडेट रुचिका व कैडेट रितेश ने शोध पत्र प्रस्तुत किये।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुरीना शर्मा व
उप प्राचार्य डॉ रविंद्र कुमार ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बधाई दी है।
इस अवसर पर
अंडर ऑफिसर अंकुश कुमार, कैडेट वारंट ऑफिसर
कार्तिक ठाकुर सहित एनसीसी एयर विंग के कैडेट विशेष रूप से उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *