लोकसभा चुनावी मुद्दों से विश्वविद्यालयों की फर्जी नियुक्तियों का मामला गौण , लाखों युवाओं में बढ़ता जा रहा आक्रोश

सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं के पेपर लीक कर करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार मामलों के साथ  विश्वविद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों से हुई प्रोफेसरों की नियुक्तियों के गंभीर मामलों को लोकसभा चुनावी मुद्दों में गौण होने से प्रदेश के लाखो युवाओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

लोकसभा चुनावी प्रचार में प्रदेश के चारों  विश्वविद्यालयों  शिमला विश्वविद्यालय ,सरदार पटेल मंडी,  केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में एक प्रोफेसर एवीबीपी के पदाधिकारी दसवी के मैथ में  फेल जूलॉजी के प्रोफेसर पद पर नियुक्ति तथा पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में सीड साइंस में एमएससी की डिग्री वाले को प्लांट साइंस में नियुक्ति जैसे कई गंभीर मामलों पर लोकसभा चुनावी प्रचार से ये मामले गौण हो चुके हैं।

बीजेपी की मुश्किल देश भर में बढ़ती अगर कांग्रेस प्रमुखता से इन मामलों को आमजनता के बीच लेकर जाती तो पढ़े लिखे युवाओं में उनके सुनहरे भविष्य की आशाएं बंधी रहती।

कांग्रेस नेताओं ने भी लोकसभा चुनावों में विश्वविद्यालयों में  शिक्षकों और गैर शिक्षकों की नियुक्तियों के मामलों पर भी खामोशी बना रखी हुई । जिसके चलते प्रदेश के लाखों पढ़े लिखे युवाओं और युवतियों में इन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के चुनावों प्रचार के मुद्दों से ये गंभीर मामले गौण होने से आक्रोशित होते हुए देखे जा रहे हैं।

अमर ज्वाला से कुछ पढ़े लिखे युवाओं से चर्चा की गई तो उन्होंने यही कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों के प्रचार में कांग्रेस के कई नेताओं ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में हुई शिक्षकों तथा गैर शिक्षकों की फर्जी  नियुक्तियों के मामलों की जांच करने का युवाओं से वादा किया था । लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही कांग्रेस के एक विधायक चंद्र शेखर द्वारा विधानसभा में मामला जरूर उजागर किया था जिसके बाद प्रदेश के पढ़े लिखे युवाओं में फर्जी नियुतियों के मामलों पर आशाएं बंधी हुई थी लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार के  एक वर्ष के कार्यकाल पूरा होने के बाद भी कोई मामला दर्ज नही कोई जांच तक नही जिससे लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को युवाओं के आक्रोश का नुकसान होना तय माना जा रहा है। पढ़ा लिखा युवा अपने मतदान के लिए निर्णय नही कर पा रहा है कि दोनों दलों द्वारा विश्वविद्यालयों की फर्जी नियुक्तियों और बेरोजगारी पर खामोशी बनाई हुई है।

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क्या है विश्वविद्यालयों की फर्जी नियुतियों का मामला 

मंडी सरदार पटेल विश्विद्यालय में एसिस्टेंट/ एसोसियेट प्रोफेसरों की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। जिसका खुलासा सारे दस्तावेजों को देख कर मालूम हो रहा है। अपात्र लोगों को शिक्षण व अन्य कई संस्थानों में नियक्तियां कर दी गई हैं। हिमाचल प्रदेश के चारों विश्वविद्यालयों में मंडी सरदार पटेल, केंद्रीय विश्व विद्यालय धर्मशाला, शिमला विश्वविद्यालय तथा नौणी विश्वविद्यालय में हुई भर्तियों में खुल्ला भ्रष्टाचार होने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल को प्रदेश का इतिहास हमेशा याद रखेगा। पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कार्यकाल में कर्मचारी चयन आयोग में पेपर लीक कर करोड़ों का भ्रष्टाचार कर सरकारी नौकरियों की बिक्री का धंधा फलता फूलता रहा। पूर्व में विपक्ष में बैठी कांग्रेस व हिमाचल का पढ़ा लिखा युवा बेरोजगार पेपर लीक मामलों में तथा मंडी सरदार पटेल विश्व विद्यालय में हुई नियुक्तियों की सीबीआई जांच मांगती रहे। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजीव गुलेरिया ने यह मामला मीडिया के सामने प्रेस वार्ता कर जोरशोर से उजागर किया था। परंतु पूर्व मुख्यमंत्री के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। सरदार पटेल विश्व विद्यालय मंडी में सहायक/ एसोसियेट प्रोफेसरों की चयन समिति द्वारा परिवारवाद, भाई भतीजावाद से इन पदों में नियुक्तियां दी गई हैं।
सुनील उपाध्यय एजुकेशन ट्रस्ट का नियुक्तियों से क्या संबध ?
सुनील उपाध्याय एजुकेशन ट्रस्ट के बैंक खातों में करोड़ों रुपए का लेन देन हुआ बताया जा रहा है। इस ट्रस्ट के बैंक खातों में उन अपात्र लोगों द्वारा पैसा जमा करवाया गया है जिन्हे प्रदेश के विश्व विद्यालय में नियुक्तियां दी गई है। ट्रस्ट के बैंक खातों में यह लेन देन कोरोना काल के दौरान भी हुआ है। जब पूरी दुनियां इंसानी जीवन को बचाने के लिए एक दूसरे की मदद करने में लगे हुए थे लेकिन यह गिरोह फर्जी नियुक्तियां करने में व्यस्त थे। ट्रस्ट के संचालकों को यह बताना चाहिए कि इस ट्रस्ट के बैंक खातों में प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर, प्रोफेसर ,एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्त लोगों द्वारा व हिम साइंस कांग्रेस एसोशेसन के द्वारा बार- बार ट्रस्ट के खातों में पैसा क्यों जमा किया जाता रहा है ?
हिम साइंस कांग्रेस एसोशियन का इन नियुक्तियों में क्या है रोल ?

सरदार पटेल मंडी विश्वविद्यालय में डीन के पद ऐसे व्यक्तिको बिठाया गया जोकि केंद्रीय विश्व विद्यालय जम्मू का कर्मचारी है। और इसी डीन द्वारा कुछ वर्षों पहले, जब वह एक निजी विश्विद्यालय सोलन में कार्यरत था, उस वक्त उसने एक हिम साइंस कांग्रेस एसोसेशन का गठन किया था। जिसमें चीफ पैटर्न शिमला विश्व विद्यालय में कार्यरत भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर को बनाया जोकि पूर्व में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष था। और वर्तमान में यूजीसी नेक का सदस्य है। हिम साइंस कांग्रेस एसोसेशन की कार्यकारणी भी सवालों के घेरे में आ रही है। क्योंकि कुछ वर्षों पहले तक जो लोग निजी विश्विद्यालयों में कार्यरत थे वही लोग वर्तमान समय में बिना किसी यूजीसी/ पब्लिक सर्विस कमीशन का टेस्ट पास किए बिना एपीआई स्कोर व प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़ों के कारण आज प्रदेश के विश्व विद्यालयों में नियुक्त कर दिए गए हैं। नियमों के अनुसार सहायक प्रोफेसर को कम से कम आठ वर्षों का अनुभव होना अनिवार्य होता है। लेकिन मंडी की सरदार पटेल विश्व विद्यालय में तो एक टीजीटी के पद पर कार्यरत शिक्षक ने सहायक प्रोफेसर की इंटरव्यू देने के लिए उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग से कोई अनुमति नहीं ली है और फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर उसके एपीआई स्कोर का इजाफा होना खुद ही कई सवाल उत्पन्न करता हैं। जब वह विश्व विद्यालय के सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुई उस दौरान मंडी सरदार पटेल विश्व विद्यालय का डीन के पद पर उनका पति बैठाया हुआ था जो हिम साइंस कांग्रेस एसोशियन के अध्यक्ष पद पर भी हैं।
कैसे हुआ यह खुलासा ?
चयन समितियों द्वारा चहेतों को भरने के लिए उनके एपीआई स्कोर को बढ़ाने का खेल खेला गया है। इन चयन समितियां के सदस्य में पूर्व की बीजेपी सरकार के चहेतों का बोलबाला रहा। झूठे /अपात्र अनुभव के प्रमाणपत्रों, अवार्ड, रिसर्च पेपरों और अनियमित डिग्रियों के आधार पर एपीआई (ऐकेडमीक पर्फामेंस इंडीकेटर) स्कोर बनाया गया है। जिससे कि अपात्र लोगों इंटरव्यू में बुलाया जा सके और उन्हीं अपात्र लोगों नियुक्ति दी जा सके।

यह सारी जानकारियां मंडी के विपिन गुलेरिया द्वारा सूचना का अधिकार कानून के आधार पर इक्क_ा कर रखी हुई है और इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यलय को शिकायत भी की हुई है। प्रधानमंत्री कार्यलय से विपिन गुलेरिया की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पूर्व की जय राम ठाकुर को जांच करने को कहा था लेकिन पूर्व की जय राम ठाकुर की बीजेपी सरकार तो जांच नहीं कर पाई लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने निष्पक्षता के साथ जांच शुरू कर दी है। यही नहीं मंडी जिले से एक मात्र विधायक धर्मपुर से चंद्र शेखर ठाकुर द्वारा बजट सत्र के दौरान विधानसभा में मंडी विश्व विद्यालय में हुई नियुक्ति के भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। सारे पेपरों को देख कर हैरानी तब होती है कि किसी गरीब का बेटा दिन रात कड़ी मेहनत कर अपनी पढ़ाई सरकारी नौकरी के लिए करता है उस गरीब के बेटे बेटी की कड़ी मेहनत की पीठ में इन भ्रष्टाचारियों का खंजर उनकी पीठ में घोंपा जाता रहा है। गरीबों परिवारों तथा मेहनती पढ़े लिखों नौजवान युवाओं के भविष्य के साथ इन्होंने गंदा खेल खेला हुआ है।

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