प्रदेश में पहली बार पुलिस सबूत जुटाने के बजाय मिटाने पर लगी थी :रणधीर शर्मा*

 

मंडी : हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन के मुख्य अभियंता स्व. विमल नेगी की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत की जांच सीबीआई से करवाने के माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का स्वागत किया है। श्री नैनादेवी विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं प्रदेश भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख रणधीर शर्मा ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मृतक के परिवार की मांग पर माननीय हाईकोर्ट ने ये निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की पहले भी यह मांग थी कि जिन परिस्थितियों में मुख्य अभियंता की मौत हुई है वो स्वाभाविक मौत नहीं है इसलिए इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी कौन सी परिस्थितियां है कि प्रदेश सरकार इस मामले की जांच सीबाआई से करवाने में परहेज कर रही है। उन्होंने कहा कि जब से यह सरकार सत्ता में आई है, बिजली बोर्ड और कारपोरेशन को लेकर कई गुमनाम चिट्ठियां निकली। सरकार ने इन गुमनाम पत्रों में क्या लिखा है उसकी जांच करवाने के बजाय चिट्ठियां लिखने वालों की जांच में लगी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि चीफ इंजिनियर विमल नेगी पर भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए दबाव था, जिसके चलते मानसिक तनाव की वजह से वे लापता हुए। उन्होंने कहा कि शिमला पुलिस की ढिलाई और लापरवाही की वजह से विमल नेगी लापता हुए और रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि 18 मार्च को गोविंद सागर झील में उनका शव मिलता है और 19 मार्च को एम्स में उनका पोस्ट मार्टम करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि परिवार वाले एफआईआर लिखवाने के लिए उनका शव पावर कारपोरेशन के दफतर के बाहर रखकर आंदोलन करते हैं। तब कहीं जाकर पुलिस दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है। लेकिन उसमें एक अधिकारी को नाम और पद लिखा जाता है। जबकि एक अधिकारी का केवल पद ही लिखा जाता है नाम नहीं।

रणधीर शर्मा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर व भाजपा के विधायकों ने विधानसभा के अंदर यह मामला उठाया तब कहीं जाकर एसआईटी गठित की गयी थी और मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि पंद्रह दिनों में परिणाम सामने आ जाएगा। लेकिन एक माह बीतने के बाद भी वह परिणाम नहीं आया।भाजपा सदन मे बार बार सी, बी, आई, जाँच की मांग करती रही उन्होंने कहा कि परिजनों की मांग पर हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच के आदेश दिए हैं। मगर सरकार अब भी चुप है। यहां तक कि एसपी शिमला ने कोड आफ कंडक्ट की परवाह न करते हुए प्रेस वार्ता कर उच्चाधिकारियों पर आरोप लगाए हैं, सरकर इस पर भी चुप है। यहां तक तथ्यहीन बयानबाजी करने वाले सरकार के प्रवक्ता भी अब खामोश हैं। एसआईटी की जांच को सार्वजनिक किया जाए और प्रदेश सरकार सीबीआई की जांच से क्यों बचना चाहती है, अगर सरकार किसी को बचाना नहीं चाहती है और कुछ भी गलत नहीं है तो फिर सीबीआई जांच से परहेज क्यों है। उन्होंने कहा कि एसपी शिमला कंडक्ट रूल की धज्जियां उड़ा रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। डीजीपी कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी चिट्टा व्यापारी है तो एसपी शिमला ने उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। किसके कहने पर पैन ड्राइव होने की बात को छुपाया गया। उन्होंने आरोप लगया कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली से समाज का काई भी वर्ग खुश नहीं है। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता भी अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। जबिक सरकार के मंत्री और विधायक भी अपनी सरकार से खुश नहीं है। आए दिन ऐसे कई मामले सोशल मीडिया में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। जिसके चलते सरकार और खासकर मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।हैरानी इस बात की है कि न्यायालय में पूरा सरकारी अमला एसपी को बचाने में और डीजीपी के ऊपर आरोप लगाने में क्यों व्यस्त था? सरकार द्वारा प्रशासनिक जांच रिपोर्ट परिवार को सौंपने पर कहा गया था कि रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है तो सरकार यह बताएं महीने बाद भी लगभग 40 पेज की रिपोर्ट को अध्ययन क्यों नहीं हो पाया? इस अवसर पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय राणा जिला अध्यक्ष निहाल चंद शर्मा, मीडिया प्रभारी राकेश वालिया भी मौजूद रहे।

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