हिमाचल के बाद हरियाणा में भी प्रोफेसर की भर्ती में बड़े फर्जीवाड़े का हुआ खुलासा

***हरियाणा में प्रोफेसर के डेपुटेशन पद भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़े का हुआ खुलासा ***प्रोफेसर पद के लिए कैसे योग्य? अमर ज्वाला // डैस्क 4 साल बाद मुख्यमंत्री विंडो से खुलासा हुआ है कि प्रोफेसरों की डेपुटेशन भर्ती के मामले में हरियाणा बहुत बड़े फर्जीवादेबका खुलासा सामने आया है। प्रोफेसर पद के लिए पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवार कैसे और कब से योग्य हो गया ? जिसका खुलासा चार वर्षों बाद मुख्यमंत्री विंडो से खुलासा हुआ है। बीजेपी की डबल इंजन वाली राज्य सरकारों द्वारा देश भर में शिक्षा का सत्तर गिरा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के सभी चारों विश्वविद्यालयों में बीजेपी की सरकार के कार्यकाल में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र संकग्न कर सरदार पटेल विश्वविद्यालय तथा शिमला विश्वविद्यालय और केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में कई प्रोफेसर पदों पर ” सुनील उपाध्याय एजुकेशन ट्रस्ट ” में लाखों रुपए जमा करने के बाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया है । वही हिमाचल के साथ हरियाणा की गुरुग्राम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नियुतियो का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। हरियाणा की गुरुग्राम विश्वविद्यालय (जीयू) में प्रोफेसर के डेपुटेशन पद की भर्ती में बड़ा झोलमाल सामने आया है। भर्ती में 4 साल बाद तब खुलासा हुआ, जब इसकी शिकायत सीएम विंडो पर की गई। बता दें कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय को 8 साल पहले स्थापित किया गया था। मई 2021 में गुरुग्राम विश्वविद्यालय ने भर्ती के लिए विज्ञापन निकालकर आवेदन मांगे। हालांकि जीयू की ओर से आवेदन के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया। गौरतलब है कि इस भर्ती के तहत नियुक्ति में यूजीसी के क्राइटेरिया की भी अनदेखी की गई। आवेदनकर्ता से यूजीसी का मानदंड बी भरवाया गया, क्योंकि वह पात्रता मानदंड ए के अनुसार पात्र नहीं था। ए क्राइटेरिया में 10 साल का अनुभव होना जरूरी होता है। साथ ही न्यूनतम 10 शोध पत्र और 400 का एपीआई स्कोर होना आवश्यक होता है। बताया जा रहा है कि आवेदनकर्ता के द्वारा नियुक्ति से पहले जो भी दस्तोवज लगाए गए हैं, उनमें एक भी दस्तावेज ऐसा नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि संबंधित विषय में उनका कोई उत्कृष्ट योगदान है। जीयू वर्ष 2013 से पहले जिन संबंधित संस्थानों में आवेदनकर्ता के द्वारा काम किया गया है, उनमें से आधे से ज्यादा बंद हो चुके हैं। उससे आवेदनकर्ता के एक्सपीरियंस पर सवाल उठ रहे हैं। साथ ही प्रमाण पत्रों में अहम बात यह है कि नियुक्ति से 6 साल पहले ही संबंधित विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाला व्यक्ति प्रोफेसर पद के लिए कैसे योग्य हो सकता है? सीएम विंडो की शिकायत में इस पूरे मामले की जांच निष्पक्ष रूप से कराने की मांग की गई है। बताया जा रहा है कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय ने 19 फरवरी 2024 को पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में डेपुटेशन के पद पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के रीजनल सेंटर नोएडा में प्रोड्यूसर के पद से आए हुए व्यक्ति को रेगुलर प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए आवदेन मांगा है। इस पद पर 3 आवदेन आए, जो कि गुरुग्राम यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा इस कैंडिडेट के सपोर्ट में भरवाए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय उन्हें डेप्युटेशन प्रोफेसर के पद पर रहते हुए रेगुलर प्रोफेसर के पद पर मर्ज भी कर सकती है, क्योंकि आवेदनकर्ता ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में एनओसी के लिए प्रार्थना की है कि मैं गुरुग्राम विश्वविद्यालय मर्ज होना चाहता हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *