***नेताओं के चक्रभ्यू घेरे में फंसे विक्रमादित्य, उपमुख्यमंत्री और पर्यवेक्षक संजय दत्त पर ने संभाला मोर्चा ,
***नेताओं के आपसी समन्वय ने बढ़ाई मंडी संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार की मुश्किलें
***शिक्षा ,स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे मूलभूत मुद्दों पर कांग्रेस के प्रचार में नही कोई जिक्र।
सुभाष ठाकुर*******
देश के आम लोकसभा चुनावों के प्रचार के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व ने पांच न्यायपत्र और 25 गारंटियों को लेकर चुनावी प्रचार में राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा तीन चरणों के चुनावों में किया गया ।
हिमाचल प्रदेश में 1 जून को सातवे चरण में चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार के उपमुख्यमंत्री , मुख्यमंत्री पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह राष्ट्रीय नेतृत्व के न्यायपत्र को लेकर दूरियां बना कर चली हुई है । यही नहीं राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व द्वारा जिन राष्ट्रीय सचिवों को प्रदेश की जो जिम्मेवारी दी गई है वह सचिव सचिव भी पार्टी के न्यायपत्र पर अपनी प्रेस वार्ता में बखान तक नही कर पा रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री तथा मंडी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मंडी संसदीय सीट के पर्यवेक्षक संजय दत्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह आज बुधवार दोपहर को मंडी राजमहल में प्रेस वार्ता की गई । उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की 45 मिंट्स की प्रेस वार्ता में हिमाचल आई आपदा से हुए 10 हजार करोड़ रुपए के नुकसान को केंद्र की बीजेपी ने नही दिया । जो किश्ते केंद्र ने जारी की हुई है वह तो बिना आपदा से भी जारी होनी थी वही सारी हिमाचल को केंद्र की सरकार की देन दारी थी।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने लोन की सीम घटा कर प्रदेश में चार चोर दरवाजे से बीजेपी सत्ता हासिल करना चाहती थी लेकिन बीजेपी का हिमाचल में मिशन लोटस फेल हो चुका है हिमाचल में अभी 45 माह सरकार का और कार्यकाल जारी रहेगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने अपनी प्रेस वार्ता में बेरोजगारों को रोजगार की कोई ऐसा जिक्र नहीं किया कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के 45 माह के कार्यकाल में युवाओं को नौकरियां देंगे , बीजेपी की पूर्व सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच करेंगे कोई जिक्र न कर युवाओं को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व खामोशी बना कर चला हुआ है।
पार्टी के घोषणा पत्र जिसका नाम राष्ट्रीय नेतृत्व के न्यायपत्र का कोई जिक्र तक नहीं किया गया है।
पत्रकारों के न्यायपत्र पर पूछे गए सवालों पर राष्ट्रीय सचिव संजय दत्त ने भी खामोशी बना कर पार्टी के राष्ट्रीय मुद्दों से हिमाचल के चुनावों में कुछ नही बोल सके ।
मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उमीदवार को जितना प्रवल उम्मीदवार माना जा रहा है उतना ही पार्टी नेताओं में आपसी समन्वय की कमी देख कर विक्रमादित्य की मुश्किल बढ़ सकती है।
मंडी संसदीय क्षेत्र के प्रभारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ठाकुर कौल सिंह को विक्रमादित्य के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में जरूर साथ रहे लेकिन करसोग , भरमौर, कुल्लू के सभी कार्यकर्म में उन्हें साथ नही देखा।
देश के आम लोकसभा चुनावों के साथ हिमाचल की छः विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव भी हो रहें हैं।
कांग्रेस सरकार से छः बागी विधायकों के बीजेपी शामिल होने के बाद जो हिमाचल कांग्रेस सरकार तथा कांग्रेस विधायकों के बीजेपी जाने के को कयास लगाए जा रहे थे उनके सबसे पहले खुद कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य पर मुख्यमंत्री के कई करीबी सोशल मीडिया में विरोध पर उतर चुके थे लेकिन मंडी संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनने के बाद मुख्यमंत्री के करीबियों द्वारा सोशल मीडिया में यहां तक लिख कर पोस्ट डाली हुई है कि जो हमें नही मानते हम उन्हें नही मानते
मानेंगे । कांग्रेस उम्मीदवार के लिए यह चुनाव बहुत बड़ी राजनीतिक परीक्षा होने वाली है ।
वहीं बीजेपी प्रत्याशी कंगना को राजनीतिक क्षेत्र से कुछ खोने के लिए नही है बल्कि पहली कोशिश है बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी व संगठन के दम पर उत्साह से भरे हुए हैं । कांग्रेस और बीजेपी में दोनों तरफ आपसी आंतरिक गुटबाजी देखने को सामने आ रही है।
हिमाचल कांग्रेस लोकसभा और छः विधानसभा चुनावों के प्रचार में उलझ चुकी है। मुख्यमंत्री , उपमुख्यमंत्री पार्टी की प्रदेशाध्यक्षा राष्ट्रीय नेतृत्व के न्यायपत्र का जिक्र तक नहीं कर पा रहे हैं ।यहां तक कि राष्ट्रीय सचिवों को को जिम्मेवारियां सौंपी हुई वाई वह नेता भी हिमाचल में दौरे पर दौरे जरूर कर रहे हैं लेकिन प्रेस वार्ता में तक पार्टी के न्यायपत्र का जिक्र नहीं कर बीजेपी के हमलों में फंसते जा रहे हैं।