***इतिहास में पहली बार चौहार घाटी के आराध्य देवता श्री हुरंग नारायण कुल्लू के भुंतर के लिए हुए रवाना
सुभाष ठाकुर*******
चौहार घाटी के हुरंग गांव में स्थित अराध्य देवता श्री हुरंग नारायण देवता अपने मंदिर से आज छः दिवसीय यात्रा के लिए कुल्लू के भुंतर के लिए रवाना हो चुके हैं।
देव हुरंग नारायण जिला कुल्लू के भुंतर गांव के एक परिवार की मनत पूरी होने पर देवता को कुल्लू ले जाने का वादा किया हुआ था । किसके चलते आज देवता चौहार घाटी से हुरंग गांव से शिल्हबुधानी पंचायत से एक भुवुजोत की पहाड़ी में बसे गांव में रात्रि ठहराव के लिए निकला चुके हैं।
रविवार सुबह भूबुजोत की पहाड़ी को क्रॉस करने से पहले जोगनी माताओं की पूजा अर्चना की कर भूबूजोत को पार कर जिला कुल्लू की लगवैली पहुंचेंगे।
रात्रि ठहराव जिला कुल्लू के लगवैली में किया जाएगा। वहां स्थानीय देवताओं द्वारा भी स्वागत करने की सूचना आई है।
देव हुरंग नारायण अपने पूरे प्राचीन वाद्ययंत्रों की धून में अपने सभी गुरों,पुजारी ,भंडारी तथा सेवकों के साथ कुल्लू जिला के भुंतर के लिए रवाना हो चुके हैं।
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क्या है देव हुरंग नारायण का मंडी सियासत के राज परिवार से उनका जुड़ा हुआ इतिहास ?
मंडी जिला के सर्वमान्य देवता हुरंग नारायण का अपना ही इतिहास मंडी रियासत के राजाओं से जुड़ा हुआ है।
मंडी के राजा के 17 पुत्रों की जन्म उपरांत मृत्यु होती रही तो रानी प्रकाश देई द्वारा देव हुरंग नारायण से कमाना कर मंडी रियासत की गद्दी के लिए वारिस की मांग की। और बोली की मेरा पुत्र जिएगा तो वह उसे अपने गले का हार देव हुरंग नारायण को चढ़ाएगी।
रानी प्रकाश देई के एक वर्ष बाद जब पुत्र प्राप्ति हुई और राज परिवार खुश हो कर रानी प्रकाश देई कुछ वर्षों बीत जाने के बाद रानी हुरंग नारायण से किया हुआ बाद पूर्ण न कर के पुत्र के हाथ पैर बिना हड़ियों की तरह असमान्य बच्चों की श्रेणी की तरह होने लगा।
रानी प्रकाश देई को जब अपने 18वें पुत्र के जन्म के कुछ वर्षों बाद यह आया कि उन्होंने देव हुरंग नारायण से पुत्र की मांग की हुई थी और मांग पूरी होने पर देव हुरंग नारायण को अपने गले का हार चढ़ाऊंगी। लेकिन रानी पुत्र की खुशी में इस लिए भूल गई थी कि 17 बच्चों जन्म देने के बाद कोई जीवित न रहने के कारण चिंता में डूब जाते रहे । लेकिन 18वां बच्चे को जन्म देने के बाद उसकी परवरिश में देवता की की हुई मनोकामना पूर्ण होने पर अपना वादा पूरा न करने पर देवता का दोष बच्चे पर आने लगा था । रानी प्रकाश देई को जब देव हुरंग नारायण से किए हुए वादे की याद आई तो मंडी रियासत के तत्कालीन राज परिवार की तरफ से देवता हुरंग नारायण के लिए मंडी की शिवरात्रि का निमंत्रण चांदी की एक छड़ हुरंग नारायण मंदिर तक गई और हुरंग नारायण को विशेष तौर पर निमंत्रण दे गया।
देवता हुरंग नारायण जब मंडी शिवरात्रि में पहुंचने पर मंडी रियासत के राज परिवार द्वारा देवता को उच्च स्थान के साथ रानी प्रकाश देई द्वारा अपने गले का हार पिघला कर देवता के रथ पर अपने नाकारण के साथ चांदी का मोहरा भेंट किया गया । देव हुरंग नारायण के रथ में रानी प्रकाश देई का वह मोहरा हमेशा रहता है।
देव हुरंग नारायण की आस्था मंडी जिला ही नहीं बल्कि जिला कुल्लू के साथ अन्य कई क्षेत्रों में मानी जाती है।
देश के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायधीश माननीय संजय करोल भी देवता हुरंग नारायण पर आस्था रखते हैं। कोरोना काल के बाद मंडी शिवरात्रि की चौहट्टा जातर में माननीय संजय करोल द्वारा एक खाली लिफाफे में अपनी भेंट भेजी हुई थी।