हुरंग नारायण देवता का ऐतिहासिक कुल्लू दौरा इतिहास के पन्नों में दर्ज

*** देवता ने 250 देवलुओं और सेवकों पर सुरक्षा चक्र बांध कर भूवुजोत की पहाड़ी लांघ कर कुल्लू में दस्तक दे कर शान से किया 9 दिवसीय दौरा ।

*** बरसात के दिनों में देवता के ग़ुरों ने मांगा था मौसम रहे साफ, तो कुल्लू की जनता ने मांगी बारिश, नहीं किया किसी को निराश

सुभाष ठाकुर*******

चौहार घाटी के अराध्य देवता श्री हुरंग नारायण इतिहास में पहली बार जिला कुल्लू का दौरा कर नया इतिहास दर्ज कर चुके हैं।

देवता हुरंग नारायण की आस्था रखने वाले लाखों लोग इस दौरे के गवाह बने हैं कि सदियों से चली आ रही देव हुरंग नारायण की देव संस्कृति और देव नीति में यह पहली बार देखने को मिला कि देवता अपने हुरंग गांव से अपने लगभग 250 देवलुओं के साथ भूबुजोत की सीधी पहाड़ी को लांघ कर पैदल जिला कुल्लू की लगघाटी पहुंचे।

देवता के कुल्लू जिला में प्रवेश होते ही जिला कुल्लू की लग वैली की जनता ने देव हुरंग नारायण का फूलों से स्वागत किया।

देवता के साथ चले हुए सैकड़ों देवलुओं का आदर समान कर देव समाज और देव समाज की प्राचीन संस्कृति के चलते इस दौर में भी मंडी जिले की चौहार घाटी और जिला कुल्लू की लग वैली दोनों जिलों के आपसी रिश्तों को मजबूत बनाया।

देव हुरंग नारायण 29 जुलाई 2024 की शाम को अपने मंदिर हुरंग गांव से शील्हबुधानी के लिए निकले और वहीं पर पहली रात्रि ठराव किया। दूसरे दिन सुबह भूबुजोत की सीधी पहाड़ी को अपने सेवकों तथा देवलुओं के साथ जिला कुल्लू की लग वैली में शाम को पहुंचे और वहां पर हजारों की संख्या में जिला कुल्लू की जनता ने देवता की आस्था में डुबकी लगाई और जोरदार फूलों की बारिश कर से स्वागत करते रहे।

देवता हुरंग नारायण जिला कुल्लू के भुंतर के पीपल आगे स्थान पर एक गांव में बसे चौहार घाटी के शक्ति शर्मा द्वारा देवता को अपने घर में आमंत्रित किया हुआ था।

शक्ति शर्मा के घर देवता हुरंग नारायण के दर्शन करने के लिए जिला कुल्लू के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्यां में लोग पहुंचे ।

देवता समाज में यह पहली बार इतिहास बना है कि मंडी की चौहार घाटी से देवता हुरंग नारायण पहली बार जिला कुल्लू दौरा किया है । इससे पहले चौहार घाटी के अन्य देवताओं में देवता दरुण भी कुछ वर्ष पहले जिला कुल्लू की लग वैली में देवता की भक्त द्वारा आमंत्रित किया हुआ था। देव दरुण भूबूजोत हो कर नहीं बल्कि साथ लगती हुई जोत पर पहुंचते हुए कौवे और गिद्ध बहुत संख्या में उड़ने शुरू हुए थे। देवता के गुर द्वारा मंत्रों के उच्चारण से उन्हें शांत करवाया गया ।यही कारण है कि देवताओं को ऐसी ऊंची पहाड़ियों पर ले जाने से पहले देवता को बार बार  सुरक्षा के लिए पूछा जाता है ।

देवता हुरंग नारायण जिला कुल्लू के 9 दिवसीय दौरा कर जिस भूवुजोत की पहाड़ी को लांघ कर पैदल गए थे वैसे ही पैदल आज रविवार 7 जुलाई 2024 की देर शाम को अपने मंदिर हुरंग गांव में वापिस लौटे हैं।

देव समाज में कहा जाता है कि देवता को ऊंचाई वाले क्षेत्रों का दौरा करने से पहले देवता के गुरु द्वारा देवता को पूछा जाता है ,कि देवता के साथ चलने वाले सेवकों और देवलुओं द्वारा ऊंची चोटी सुरक्षित रहेगी या नही, पर ले जाने से दैव्य शक्तियों तथा अन्य शक्तियों के टकराव से कई घटनाएं घटित होने का खतरा बना रहता है।

कुल्लू दौरे से पहले देवता ने सभी तरह की सुरक्षा का वादा किया हुआ था और मौसम भी दौरे के दौरान सुहावना बना रहा ।

कुल्लू के कुछ लोग देव हुरंग नारायण की सेवा में भूबुजोत तक साथ आए और सुख समृद्धि की प्रार्थना कर भूवुजोत से देवता का आशीर्वाद लेकर अपने घर लौटे

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