हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय के शिक्षकों को भी शिक्षक अवार्ड देने के निर्णय का HGCTA ने स्वागत किया है। हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा कालेज शिक्षकों को भी शिक्षक अवार्ड देने का निर्णय अपने आप में एक पहला ऐतिहासिक निर्णय है। यह बात एच जी सी टी ए हिमाचल प्रदेश अध्यक्षा डॉo वनिता सकलानी ने कही। उन्होंने प्रेस नोट के माध्यम से मीडिया को बताया कि आज से पहले कभी भी पूर्व सरकारों में कालेज प्रोफ़ेसरों को शिक्षक अवार्ड की सूची में नहीं डाला। और ना ही अब तक यह पुरस्कार उन्हें दिया गया। जबकि प्राथमिक स्कूल से महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सभी शिक्षक ही होते है उनको भी प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षक पुरस्कार देना चाहिए। इस वर्ष सरकार के द्वारा महाविद्यालय के शिक्षकों शिक्षक पुरस्कार में शामिल करना अपने आप में एक मिसाल भरा निर्णय है। सरकार के इस निर्णय से समस्त कालेज शिक्षक वर्ग अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। महाविद्यालय के शिक्षक भी शिक्षण के अलावा एन एस एस और एन सी सी आदि में विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमेशा सहयोग एवं मार्गदर्शन करते रहते है। समय समय पर भारत सरकार एवं हिमाचल सरकार द्वारा घोषित कार्यक्रमों के संचालन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते है। अधिकांश शिक्षक जनजातियां और कठिन क्षेत्र के महाविद्यालयों में अपनी सेवा पूरी निष्ठा के साथ निभाते है। महाविद्यालय के शिक्षक भी वे सभी कठिनाइयां झेलते है जो स्कूल के शिक्षक जनजातियां क्षेत्रों में झेलते है। महाविद्यालयों के शिक्षकों में भी शिक्षक अवार्ड प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा लग जाएगी।जो कहीं ना कहीं विद्यार्थियों के हित में ही होगी शिक्षक अपनी शैक्षणिक और सह पाठ्यक्रम गतिविधियां करवाने में अपना अहम योगदान देंगें। जिसके परिणाम स्वरूप महाविद्यालय के विद्यार्थियों को सर्वांगीण विकास करने का मौका उपलब्ध होगा। महाविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृति की आयु भी यू जी सी के नियमों के तहत 58 से बढ़ा कर 65 कर देनी चाहिए। हमारे देश के कई महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की सेवानिवृति की आयु 65 वर्ष है। इसलिए एक देश में समान शिक्षा नियम लागू करने से शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ेगा तथा उन्हें आत्मसम्मान भी मिलेगा। इस निर्णय को लेने से महाविद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने में सुविधा होगी।