सुभाष ठाकुर*******
अब कोई न बोले विश्व गुरु का डंका बज रहा है।
जिससे 100 ग्राम वजन का भार भी नही चुकाया गया।
देश की शेरनी की जीत जीत हो चुकी है अब पाखंड रचने से उनके लिए हार हो सकती है लेकिन विनेश फोगाट की जीत इतिहास में हमेशा याद रखी जायेगी।
विनेश फोटाग देश के लिए प्रेरणा का एक वो स्त्रोत बन चुकी है जिन्होंने नारी शक्ति पर हुए अत्यचार के खिलाफ रसूखदारों की राजनीतिक के खिलाफ खड़े होकर सड़कों पर उतर कर अपनी आवाज को बुलंद किया हुआ था तब भी देश की उन सभी बेटियों की आवाज को कुचलने का भरपूर प्रयास किया गया। इतना सब कुछ होने के बाद देश की यह शेरनी ओलंपिक खेल के लिए चयनित हुई और लगातार एक के बाद एक कुश्ती के ओलंपिक गेम जीत कर अपने नाम करती रही वहीं शेरनी के बढ़ते कदमों से कुछ गरदारों के दिलों को चुभन होती रही। आगे सब दुनियां ने देखा कि जिस परीक्षा को मैरिट में सफल हो चुकी है उसी परीक्षा के सवालों का चयन विनेश फोगाट के लिए क्यों लाया गया ? जब परीक्षा के लिए रिंग में उतरी विनेश फोगाट पात्र थी थी परीक्षा मैरिट में पास करने के बाद परीक्षा का पर्चा दूसरा क्यों जारी हुआ किसके लिए जारी कर किसकी लाज बचाने के लिए फिर कैसे अपात्र किया गया?
Vinesh Figaat (विनेश फोगाट) के साथ जो घटित हुआ, क्या फिर बोलेंगे विश्व गुरु का डंका बज रहा है
