स्वतंत्र दिवस दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया गया। विदित रहे कि विद्यालय 12 अगस्त से 18 अगस्त. 2024 तक श्रावणी
पर्व के उपलक्ष में वैदिक सप्ताह माना रहा है। इस वर्ष का स्वतंत्रता दिवस वैदिक सप्ताह के अंतर्गत मनाया
गया। स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला में प्रधानाचार्य के. एस. गुलेरिया जी ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत
की। मुख्यतिथि के आगमन पर स्वागत के उपरांत वेद मित्र शास्त्री के सानिध्य में प्रधानाचार्य सहित अध्यापकों
और विद्यार्थियों ने दैनिक यज्ञ किया गया। सभी ने हवन कुंड में आहुति डालकर विकसित भारत वर्ष का
संकल्प लिया। तदोपरांत राष्ट्रीय ध्वजारोहण व राष्ट्रीय गान के साथ एनसीसी आर्मी विंग के कैडेट्स द्वारा
ध्वज को सलामी दी गई। ध्वजारोहण के उपरांत अध्यापकों और विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति कार्यक्रम की
प्रस्तुति दी गई। मंच का संचालन कर रही मैडम अदिति ने सर्वप्रथम सुश्री डिंपल को आमंत्रित किया। उन्होंने
प्रभावशाली भाषण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसके पश्चात मैडम शेफाली और तरुण पंडित द्वारा
संगीतमय प्रदर्शन के साथ-साथ विशाल शर्मा के सानिध्य में लोअर खलियार की अध्यापिकाओं ने समूह गीत
की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को और अधिक रोचक बना दिया। सुशील ठाकुर, लोकेंद्र और मैडम विनस की
कविताओं ने स्वतंत्रता के विषय और स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों पर मार्मिक विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में सरदार वल्लभ भाई पटेल पर मैडम पिताजली के विचारोत्तेजक शब्द भी शामिल थे और मैडम
शैली ने एक स्वतंत्रता सेनानी के बारे में भावुकता से बात की. जिसके बाद प्रियंका ने “देश प्रेम” के लिए गीत
गाया। कार्यक्रम में कक्षा VII और VIII के छात्रों द्वारा समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जिसे सुश्री सुमन पंडित ने
कोरियोग्राफ किया था. यह नृत्य उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा। मैडम पारुल ने भी देशभक्ति की भावना को
जीवित रखते हुए अपने गीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में प्रधानाचार्य महोदय ने सभा को संबोधित
करते हुए कहा कि हमें देश के विकास हेतु सदा तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें उन क्रांतिकारियों
को नहीं भूलना चाहिए जिनके बलिदानों के कारण आज हम स्वतंत्र हैं। उन्होंने भारत के इतिहास की
जानकारी देते हुए यह याद दिलाया कि इस भारत भूमि में मर्यादा पुरुषोत्तम राम. योगीराज कृष्ण. महात्मा बुद्ध.
वर्धमान महावीर जैसे महापुरुष भी उत्पन्न हुए जिन्होंने धर्म की स्थापना को जीवंत रखा।