हिमालय के प्रलय का कॉनडाउन शुरू ,बचे 4 साल 303 दिन, बचा सके तो बचा लो : सोनम वांगचुक
सुभाष ठाकुर*******
लेह लद्दाख के जाने माने मशहूर पर्यवर्णविद , मैकेनिकल इंजीनियर सोनम वांगचुक लद्दाख से 1 सितंबर को दिल्ली तक पैदल यात्रा पर निकले हुए हैं।
पर्यावरणविद सोनम वांगचुक प्रतिदिन 25 किलोमीटर अपने 150 लोगों के साथ पैदल यात्रा कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक लद्दाख से पैदल यात्रा कर लाहौल , कुल्लू और मंडी पहुंच कर मीडिया से रूबरू हो रहे हैं।
पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने हिमालय की रेंज में बसे हुए राज्यों के करोड़ों लोगों को पर्यावरण को बचाने के लिए समय रहते आगे आने की अपील कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा है कि हिमालय को बचाने के लिए मात्र 1.5 डिग्री समय बचा हुआ है।
उन्होंने कहा कि हिमालय के पर्यावरण को बचाने के लिए मात्र 4 साल 303 दिन शेष बचे हुए हैं।
सोनम वांगचुक एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं , उन्होंने कहा कि पर्यावरण के गिरते स्तर के समय को मापने वाली एक क्लाइमेट क्लॉक का निर्माण उनके सहयोगी इंजीनियरों द्वारा किया हुआ है। इस क्लाइमेट घड़ी द्वारा दिखाया जा रहा है कि हिमालय की रेंज में बसे हुए राज्यों का पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ 4 साल 303 दिन शेष बाकी है।
उन्होंने कहा कि हिमालय की रेंज में बसे हुए राज्यों के सभी लोगों तथा। नेताओं को आगे आकर अपने राज्यों के पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आना होगा।
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सोनम वांगचुक ने मंडी के बिंद्रावणी में प्रेस वार्ता करते हुए केंद्र सरकार पर भी कई बड़े आरोप लगाए कि एक जिला को केंद्र शासित राज्य घोषित कर पिछले छः वर्षों से लद्दाख में कुछ नही किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि युवाओं की बड़ती उम्र के साथ वह बेरोजगार होते जा रहे हैं।उन्होंने यह भी कहा कि लद्दाख का युवा अभी तो केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर नजरें बनाए हुए हैं लेकिन बेरोजगारी की मार से तंग आकर युवाओं का मनोबल टूट कर सड़कों पर उतरना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।
सोनम वांगचुक ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अधिनय 370 हटाने के बाद एक पूर्ण राज्य को तोड़ कर केंद्र शासित राज्य बना कर विकास के नाम क्षेत्र का विनाश हो रहा है।