इंदिरा मार्केट की दुकानों की सबलैटिंग साधारण कागजों में हुए समझौते और सौदे

पार्ट -ii

    ***इंदिरा मार्केट की दुकानों की सबलैटिंग का मामला साधारण कागजों में हुए सौदे 

***अमर ज्वाला के पास समझोते के पहुंचे दस्तावेज

***एग्रीमेंट की किन शर्तों के आधार पर आवंटित हुई इंदिरा मार्केट की दुकानें आवंटित देखें 

सुभाष ठाकुर*******

मंडी नगर निगम की शान इंदिरा मार्केट की 236 दुकानें दो मंजिला चौकी नुम्मा मार्केट का निर्माण कर वर्ष 1993 में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वर्गीय पंडित सुख राम ने करवाया हुआ है।

90 के दशक में मंडी शहर के सेरी मंच की सड़कों के दोनों तरफ कच्चे खोखों में व्यवसाय करने वालों को पक्की दुकानें प्रतिमाह किराए के एग्रीमेंट पर आवंटित की हुई है।

नगर निगम, नगर परिषद तथा नगर पंचायतों की आवंटित दुकानें सरकारी संपति रहती है ,जिसे नगर निगम तथा नगर परिषद द्वारा एग्रीमेंट की निर्धारित शर्तों के साथ दुकानदार को प्रतिमाह किराए के तहत आवंटित किया हुआ होता है।

दुकानदार द्वारा एग्रीमेंट का

उल्लंघन करते ही दुकानदार का लाइसेंस रद्द करने बारे में एग्रीमेंट में सप्ष्ट लिखा हुआ है। बावजूद एक सरकारी संपति को कानूनी दस्तावेजों की शर्तों का सौदा निजी स्वार्थ के लिए किया गया ।

इंदिरा मार्केट की आवंटित दुकानों को दुकानदारों द्वारा बार बार लाखों रूपये में सबलैटिंग करते रहे हैं।

शहर में खूब चर्चा यह भी है कि दुकानदारों द्वारा 80 – 85 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए की नकदी से एक एक दुकान की खरीद फरोख्त मंडी शहर में हुई बताई जा रही है।लेकिन प्रदेश सरकार का आयकर विभाग तथा तमाम सरकारी जांच एजेंसियों को ख़बर तक नहीं लगी। सबलैटिंग का मामला हर बार धनासेठों की नोटों की गाड़ियों में दबाया जाता रहा ।सारी खरीद फरोख्त की सच्चाई से पर्दा नगर निगम की कार्यवाही के बाद उठेगा । मामला जांच एजेंसियों की जांच के बाद ही सारे खेल से पर्दा उठेगा।

नगर परिषद और नगर निगम के पार्षद और प्रशासन हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहे, गैर कानूनी सौदों पर खामोशी बनाए रखी , बल्कि आवंटित दुकानों के एग्रीमेंट की शर्तों ली धजियाँ उड़ाकर सबलैटिंग के एग्रीमेंट को मान्यता भी हाउस में देते रहे।

इंदिरा मार्केट की सबलैटिंग में एक दुकानदार का नाम ऐसा भी सामने आया है , जिन्होंने एनजीओ के नाम से मंडी सदर ही नही बल्कि जिला कुल्लू और अन्य जगह के आपदा प्रभावित लोगों की सहायता कर सामग्री तक आवंटित की हुई है। एनजीओ के कार्यक्रमों के चलते मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से अपनी सियासी ताल तो ठोक रहे हैं। लेकिन सरकारी संपति की सबलैटिंग मामले में उनकी सियासी राह में रोड़ा बना रहेगा ।

नगर निगम मंडी की इंदिरा मार्केट में सबलैट हुई 58 दुकानों की सूची में दुकानदारों तथा उनके आवासीय पते व संपर्क नंबर भी नगर निगम मंडी द्वारा सूची मीडिया को जारी कर दी है। सूची से साफ जाहिर हुआ है कि चंद धनासेठों द्वारा चार से पांच पांच दुकानों की खरीद फरोख्त कर अपने परिवार के सदस्यों को बिठा दिया हुआ है।

मंडी नगर निगम की इंदिरा मार्केट की दुकानों पर गिद्ध नजर पड़ चुकी है । जिसे नगर निगम मंडी के प्रशासन के लिए भी टेडी खीर साबित होने वाली है। वहीं नगर निगम के आयुक्त एचएस राणा ने भी सपष्ट बयान जारी कर अपना रुख दिखाया हुआ है कि जिन्होंने एग्रीमेंट का वॉयलेशन किया हुआ है उन्हें कानूनी प्रणाली के तहत दुकानों से बाहर किया जायेगा।

ताकि भविष्य में सरकारी संपतियों पर ऐसे धनासेठों द्वारा गैरकानूनी सौदेबाजी पर रोक लगाई जा सके।

स्वर्गीय पांडित सुखराम की दूरगामी सोच रही कि मंडी शहर की इंदिरा मार्केट को विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित कर बेरोजगारों को रोजगार के संसाधन मुहया हो सके।

इंदिरा मार्केट के बीच में एक ऐतिहासिक घंटा घर स्थापित है । घंटा घर की चारों दिशाओं में लगाई हुई घड़ी भी काफी समय से रुकी हुई है।

माना जाता है कि घड़ी का रुकना अच्छा संकेत नही माना जाता है ।

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क्या क्या है एग्रीमेंट की शर्ते

दोनों पक्षों के बीच सहमति, घोषणा और सहमति है कि उक्त दुकान का उपयोग और कब्जा निम्नलिखित नियमों और शर्तों पर किया जाएगा। किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर लाइसेंस स्वतः ही रद्द कर दिया जाएगा।

क) निर्धारित लाइसेंस शुल्क लाइसेंसकर्ता को प्रत्येक आगामी माह के लिए प्रत्येक पूर्ववर्ती माह की 7 तारीख को या उससे पूर्व अग्रिम रूप से देय होगा।

 

ख) लाइसेंसधारी न तो दुकान का उपयोग ऊपर पैरा 1 में निर्दिष्ट उद्देश्य के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए करेगा और न ही बिना किसी उचित कारण के और लाइसेंसकर्ता को सूचित किए बिना परिसर को महीने में 15 दिनों से अधिक समय तक बंद रखेगा। ऐसा न करना इस लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा।

ग) लाइसेंसधारक दुकान को “जैसी है, जैसी है” के आधार पर बनाए रखेगा और दुकान की संरचना में किसी भी तरह का परिवर्तन/परिवर्तन/संशोधन नहीं करेगा। इसके अलावा संपत्ति की परिस्थितियों, दुकान की लागत, उनके डिजाइन, इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता, कारीगरी आदि के बारे में कोई भी शिकायत लाइसेंसधारक द्वारा दस्तावेज/रिकॉर्ड नहीं की जाएगी।

कार्यकारी अधिकारी नगर निगम मंडी  (हि.प्र.)

(घ) लाइसेंसधारी किसी भी दशा में इकाई को उप-विभाजित या किसी अन्य इकाई के साथ एकीकृत नहीं करेगा, तथा फुटपाथ पर अतिक्रमण नहीं करेगा।

उसकी दुकान परिसर का नाम —नाम

लाइसेंसधारी किसी अन्य व्यक्ति को परिसर पर कब्जा करने की अनुमति नहीं देगा

ई) दुकान या उसके किसी भाग को किसी भी तरह से किसी को नहीं सौंपेगा, यदि वह ऐसा करता है तो लाइसेंसकर्ता को

उक्त दुकान का कब्ज़ा वापस लेने का सम्पूर्ण अधिकार।

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क्या बोले नगर निगम आयुक्त मंडी ?

नगर निगम आयुक्त एचएस राणा ने अमर ज्वाला को बयान जारी किया हुआ है कि सरकारी संपतियों को दो नियमों की विभिन्न शर्तों के साथ ही लिया जा सकता है।

पहला एग्रीमेंट प्रतिमाह किराए पर विभिन्न शर्तों को मानकर हस्ताक्षर होते हैं।

दूसरा लीज नियमों की विभिन्न शर्तों को मानकर सरकारी संपतियों को लिया जाता है । लीज विभिन्न उद्देश्यों पर प्रदेश सरकार द्वारा दी जाती है। सामाजिक गतिविधियों के लिए टोकन लीज भी दी जाती है, तथा दूसरी व्यवसायिक लीज भी कई सालों के लिए मार्केट वैल्यू के साथ दी जाती है।

नगर निगम आयुक्त एचएस राणा ने यह भी साफ किया कि जो फार्म या व्यक्ति लीज नियमों तथा एग्रीमेंट की शर्तों का वॉयलेशन करेगा उनका लाइसेंस तो रद्द होगा ही साथ में उन्हें आवंटित हुई सरकारी संपति जिसके लिए उन्होंने एग्रीमेंट हस्ताक्षर किए हुए हैं उन से भी हाथ धोना पड़ेगा।

नगर निगम आयुक्त ने यह भी साफ किया कि इंदिरा मार्केट की सबलैटिंग मामले पर जल्द होगी सख्ती से कार्यवाही।

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महापौर बोले सरकारी संपतियों की सबलैटिंग नही की जा सकती है , काफी मंहगी बिक्री हुई है इंदिरा मार्केट की दुकानें। उन्होंने कहा मामला नगर निगम के हाउस में भी लाया गया लेकिन उचित समाधान नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को कैबिनेट में मामले का वन टाईम सेटलमेंट कर सबलैटिंग का लाखों रुपया नगर निगम के खातों में हो जमा।

नियमों के अनुसार आवंटित दुकानें एग्रीमेंट के आधार पर मात्र दुकानदार को

प्रतिमाह किराए पर आवंटित हुई है।

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