20 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय से मिली राहत
मंडी,
बीते वर्ष भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक ऐतिहासिक निर्णय के चलते सेना के सेवानिवृत अधिकारियों को लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नति का तोहफा मिला है। सेना के मेजर के पद से सेवानिवृत्त यह अधिकारी भारतीय सेना द्वारा गठित “अजय विक्रम सिंह कमेटी” की अनुशंसा के अनुसार, ले० कर्नल के पद पर पद्दोनती की अहर्ता रखते थे लेकिन लेकिन किन्ही कर्म से इस पद पर पदोन्नति से वंचित रह गए थे।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के कोटली क्षेत्र से संबंध रखने वाले सेना मेडल (गैलेंट्री )से सम्मानित ले० कर्नल बसंत सिंह भारद्वाज ने रक्षा मंत्रालय के शासनादेश संख्या 200 दिनांक 05 अक्टूबर 2024 को साझा करते बताया कि कमेटी का उद्देश्य 13 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर ले० कर्नल के पद पर पदोन्नत करके सेना को चुस्त दुरुस्त और युवा एनर्जी से परिपूर्ण रखना था। इस कमेटी की सिफारिश को रक्षा मंत्रालय द्वारा 16 दिसंबर 2004 को भारतीय सेना में लागू भी कर दिया गया लेकिन दुर्भाग्यवश किसी तकनीकी त्रुटि के कारण इन अधिकारियों के एक वर्ग “रेजिमेंटल कमीशन अधिकारियों” को इसका लाभ नहीं मिला। इन अधिकारियों ने न्याय के लिए तत्कालीन सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री के पास प्रार्थना पत्र के माध्यम से गुहार लगाई थी लेकिन इन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला। परिणाम स्वरुप यह अधिकारी धीरे धीरे सेना से सेवानिवृत्त होते चले गए। सन 2009 इसी वर्ग के कुछ अधिकारियों के एक बैच को सेना द्वारा अपनी गलती का एहसास होने पर “स्पेशल लिस्ट कमीशन” में परिवर्तित करके और इनकी सर्विस को बढ़ाकर ले० कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया जिससे प्रेरणा लेकर इस वर्ग के एक अधिकारी मेजर रविन्द्र सिंह ने न्याय के लिए “सशस्त्र बल न्यायाधिकरण” कोलकाता में वाद दाखिल किया जहां से दिनांक 04 अप्रैल 2011 को इनके पक्ष में फैसला आया।
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण कोलकाता के फैसले के अनुसार कुछ और अधिकारियों ने उसी वर्ष सशस्त्र बल न्यायाधिकरण लखनऊ और दिल्ली में वाद दाखिल किया जहां से उनके पक्ष में फैसला आया।
रक्षा मंत्रालय ने उपरोक्त “सशस्त्र बल न्यायाधीकरण” के सभी आदेशों को लागू करने के बजाय 2013 में इन आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में वाद दाखिल कर इस पर “स्थगन आदेश” ले लिया। देश सेवा के लिए सीमा पर अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले इन अधिकारियों ने इस मोर्चे पर भी हार नही मानी और न्याय के लिए लगातार संघर्ष करते रहे। लगभग 10 वर्षों के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पाया की इन अधिकारियों के साथ अन्याय हुवा है और रक्षा मंत्रालय की अपील को खारिज करते हुवे आदेश दिया कि इन अधिकारियों को 16 दिसंबर 2004 से ले० कर्नल के पद पर पदोन्नत करते हुवे इन्हे पेंशन और एरियर सहित सभी लाभों का भुगतान 6 माह के भीतर कर दिया जाय।
इस प्रकार लगभग 20 वर्षों के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की सकारात्मक सोच के कारण “अजय विक्रम सिंह कमेटी” की अनुशंसा का लाभ ऐसे सभी 204 अधिकारियों को मिला जो इस पद पर पदोन्नति होने की अहर्ता रखते थे। इन सभी अधिकारियों की उम्र 70 से 75 वर्ष के बीच है। सेवानिवृत्ति के इतने दिनो बाद पदोन्नति होने पर इन अधिकारियों ने रक्षा मंत्री और भारत सरकार तथा ईश्वर के प्रति आभार प्रकट किया।