छोटी काशी के पंचवक्त्रा मंदिर को लैला – मजनू का मकबरा बनाने से बचाए पुरातत्व विभाग

प्राचीन इतिहास को किसी कविता पढ़ने- और किताबों को लिखने से नहीं संजोया जा सकता है,  बल्कि प्राचीन धरोहरों के इतिहास  को बनाए रखने के लिए  निः स्वार्थ भाव के साथ आगे आकर बिना किसी द्वेषभाव से समाज के सभी वर्गों के सहयोग से प्राचीन इतिहास को आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ियों को समझने के लिए बचा कर रखना होगा जिसके लिए सभी के अपने कदम आगे बढ़ाने होंगे।

भारत की सांस्‍कृतिक विरासतों के पुरातत्‍वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिए एक प्रमुख संगठन है। इसका प्रमुख कार्य राष्‍ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है

मंडी जॉन के कई हिंदू मंदिरों  पंचवक्त्र ,अर्धनारीश्वरी , लाहौल स्पीति में माता मृकुला देवी , त्रिलोकीनाथ अनेकों मंदिरों को पुरातत्व विभाग अपने अधिकार क्षेत्र में ले चुका है। कई हिंदू मंदिरों से तो लाखों रुपए का चढ़ावा भी चढ़ता है लेकिन मंदिर दीवारें अपनी बदहाली के आंसू बहा रही है। यह स्थिति लाहौल के माता मृकुला मंदिर की एक दीवार में दरार देखी जा सकती है ।

मंडी पंचवक्त्र मंदिर के द्वार तक  शहर के कुछ लोग ऐसे धार्मिक स्थलों पर अपने कुत्तों को तक घुमाने ले जा रहे हैं। जब उन्हें मंदिर के परिसर के भीतर कुत्ते न लाने के लिए बोला तो चौकीदार को ही धमकाने लग पड़े।

 

पंचवक्त्रा मंदिर की आस्था बनाए रखने के लिए आगे आई हिमाचल देव सेना 

पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक को सौंपा ज्ञापन

पंचवक्त्र मंदिर में निर्देश सुचना पटिका लगवाने हेतू हिमाचल देव सेना संस्था ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को इस बारे एक ज्ञापन भी दिया है।

मंदिर के आसपास दिन हो या राय के समय कुछ युवा नशा करने वाले धार्मिक आस्था को पहुंचा रहे हैं ठेस , हिमाचल देव सेना संस्था के पदाधिकारियों ने पंचवक्त्र मंदिर में निर्देश सुचना पटिका लगवाने हेतू भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिया ज्ञापन दिया संस्था के संस्थापक मनीष वत्स ने बताया कि

पंचवक्त्र मंदिर युवाओं के मौज़ मस्ती का केंद्र बनता जा रहा हैं, दिन के समय में युवा जोड़े और रात के समय नशा करने वाले धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा रहे हैं , और देव स्थल पर्यटक स्थल बनते जा रहे है ।

उन्होंने कहा  कि मंदिरों में एक सुचना पटिका लगाई जाये जिसमें लोगों को सूचित किया जाये कि एक तो मंदिर परिसर में जूतों के लिए एक स्थान चिन्हित हो सभी लोग अपने जूतों को वहीँ पर उतारें।

अधिकतर देखा गया है कि लोग मुख्यद्वार पर ही जूते उतार देते है और सभी लोग मंदिर में मर्यादित स्थिति में ही प्रवेश करे ।

हमारे मंदिरों के जो नियम सदियों से चले आ रहे हैं वही लागू होने चाहिए साथ ही शहर के ऐसे मंदिरों में समय समय पर पुलिस की गश्त भी लगनी चाहिए ताकि प्रेमी जोड़ें जो अश्लील हरकतें करते हैं उन पर लगाम लगे और नशा करने वालों पर भी लगाम लगे ।

ये सारे नियम मंदिर की 100 मीटर परिधि में लागू हो और अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर उचित कार्यवाही अमल में लाई जाए।

इस मौके पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारी मंडी और संस्था के संस्थापक मनीष वत्स , महिला शक्ति अध्यक्ष तेजा देवी व सचिव मीना देवी मौजूद रहे |

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