UGC Regulations 2025: शिक्षकों, शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति-प्रमोशन के लिए नया मसौदा जारी

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यूजीसी विनियम 2025 का मसौदा जारी कर दिया है, जिसके तहत यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में टीचर्स और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये मसौदा उच्च शिक्षा के हर पहलू में इनोवेशन, समावेशिता, फ्लेक्सिबिलिटी और गतिशीलता लाने में मदद करेगा, शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों को सशक्त बनाएगा और शैक्षणिक मानकों को मजबूत बनाएगा।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि मसौदा विनियम 2025 को फीडबैक, सुझाव और परामर्श के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है।

उन्होंने ये भी कहा कि यूजीसी जल्द ही मसौदा विनियम 2025 को अपने फाइनल फॉर्म में प्रकाशित करेगा, जिससे एजुकेशन सिस्टम में परिवर्तन आएगा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रिसर्च के माध्यम से देश विकसित भारत 2047 की ओर आगे बढ़ेगा.

यूजीसी विनियम 2025 की मुख्य विशेषताएं

लचीलापन: कैंडिडेट उन विषयों में टीचिंग करियर बना सकते हैं, जिनके लिए वे NET/SET के साथ क्वालिफाई करते हैं, भले ही वो उनकी पिछली डिग्री से अलग हों. पीएचडी स्पेशलाइजेशन को प्राथमिकता दी जाएगी।

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना: मसौदा विनियम एकेडमिक पब्लिकेशन और डिग्री कोर्सेस में भारतीय भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं।

समग्र मूल्यांकन: इसका उद्देश्य स्कोर-आधारित शॉर्ट-लिस्टिंग को खत्म करना है, जिसमें ‘नोटेबल कंट्रीब्यूशन’ सहित योग्यता पर ध्यान केंद्रित करना है।

डाइवर्स टैलेंट पूल: आर्ट्स, स्पोर्ट्स और पारंपरिक विषयों के एक्सपर्ट की भर्तियों के लिए रास्ता बनाता है।

समावेशिता: विकलांग सहित निपुण खिलाड़ियों को टीचिंग प्रोफेशन में एडमिशन करने के अवसर प्रदान करता है।

बेहतर शासन: पारदर्शिता के साथ विस्तारित पात्रता मानदंड के साथ कुलपतियों के लिए चयन प्रक्रिया को संशोधित करता है.

पदोन्नति प्रक्रिया: प्रमोशन के मानदंडों को सुव्यवस्थित करती है और शिक्षण, शोध आउटपुट और शैक्षणिक योगदान पर जोर देती है

प्रोफेशनल डेवलपमेंट पर ध्यान: फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के माध्यम से शिक्षकों के लिए निरंतर सीखने और स्किल वृद्धि को प्रोत्साहित करती है।

बढ़ी हुई पारदर्शिता और जवाबदेही- रिक्रूटमेंट, प्रमोशन और शिकायतों के समाधान के लिए पारदर्शी प्रक्रियाओं को बढ़ावा देती है.।

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