सुभाष ठाकुर*******
चौहार घाटी के आराध्य देव श्री हुरंग नारायण घाटी की जनता की सबसे बड़ी आस्था की अदालत माना जाता है ,
बुधवार 19 फरवरी को अपने सभी वाद्ययंत्रों की जोरदार मधुर देवधुन बजते ही अपने मंदिर से निकलते हुरंग गांव वासियों से धूप बत्ती लेकर मंडी शिवरात्रि के लिए निकल चुके हैं।
देवता ने जिन्हें गुर ,पुजारी, भंडारी तथा अन्य सभी सेवकों की जिम्मेवारी सौंपी हुई है सभी अपने आराध्य देवता की सेवा में लीन होकर श्रद्धापूर्वक खुशी खुशी सेवा में जुट जाते हैं।
देव श्री हुरंग नारायण अपने सभी भक्तों की बड़ी से बड़ी मनोकामनाएं पूर्ण करते आए हैं,
मंडी रियासत के राजा साहिब सेन 1554 ईस्वी में पत्नी प्रकाश देई के पुत्र नहीं जीवित रहते थे । पैदा होते ही अचानक मृत्यु हो जाती थी। राजा साहिब सेव की पत्नी प्रकाश देई को द्रंग के राणाओं ने चौहार घाटी के आराध्य देव श्री हुरंग नारायण से पुत्र प्राप्ति की कामना करने को कहा। रानी प्रकाश देई ने देरी न कर उन्हीं के सामने उसी वक्त देव श्री हुरंग नारायण से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना कर डाली और कहा कि उनके शरीर में जो गहना पहना हुआ है उसका मोहरा बना कर चढ़ाऊंगी । रानी प्रकाश देई के ठीक एक वर्ष बाद पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई।
रानी की मनोकामना पूर्ण होने पर अपने गहनों से देव श्री हुरंग नारायण के मोहरे को बनावा कर निरंतर देवता के रथ में आज भी चांदी का मोहरा लगाया हुआ होता है । जिस मोहरे पर टांकरी भाषा से स्पष्ट लिखा हुआ है।
श्री हुरंग नारायण बुधवार 19 फरवरी को अपने मंदिर हुरंग गांव से मंडी की अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले के लिए दौरे रवाना होते ही हवा और ठंडक के साथ आसमान में बादल निकलते ही बारिश की बूंदाबांदी शुरू कर दी ।
घाटी के किसानों ने अपने आराध्य देवता श्री हुरंग नारायण से अपनी फसल के लिए देवता से मंडी शिवरात्रि से पहले बारिश मांगी हुई थी । जिसे देवता न अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर किसानों की फसलों के लिए यह बारिश संजीवनी का काम करेगी।
देवता श्री हुरंग नारायण वीरवार 20 फरवरी को सियून पंचायत पहुंचेंगे और शनिवार को 22 को पधर में पहुंचेंगे और वहां से आगे सड़क मार्ग से मंडी शिवरात्रि के लिए रवाना होंगे ।