किस गुट के नाम पर प्रदेशाध्यक्ष की लगेगी मोहर या सर्वमान्य नेता होगा प्रदेशाध्यक्ष
सुभाष ठाकुर*******
हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का चयन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा सूझबूझ कर नहीं लिया गया तो प्रदेश में भी पार्टी की दुर्दशा दिली जैसी स्थिति की चर्चा कांग्रेस के भीतर ही होने लगी है। राजनीतिक पंडितों ने हिमाचल कांग्रेस के नेताओं को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री और हॉलीलॉज तीन नेताओं के चर्चे होने लगे हैं कि प्रदेशाध्यक्ष किस नेता के गुट के नेता पर प्रदेशाध्यक्ष की मोहर लगेगी।
हिमाचल कांग्रेस नेताओं और समर्थकों द्वारा चर्चा में जिक्र किया जाने लगा कि संगठन का नेतृत्व क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए जहां से पार्टी कमजोर हुई हो , और विपक्ष को इस क्षेत्र से कमजोर किया जा सके, लोकप्रिय चेहरा हो, अनुभवी और किसी एक गुट को नहीं बल्कि सभी एक साथ चलाने की क्षमता रखने वाले नेता को पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी सौंपनी जरूरी है। ताकि दिल्ली जैसी स्थिति होने से बचाया जा सके।
हिमाचल कांग्रेस की सरकार में अधिकांश कैबिनेट रैंक के मंत्री और अन्य एहम पदों में शामिल शिमला जिले से नियुक्तियां की गई है, , सोलन ,बिलासपुर, किनौर, हमीरपुर, ऊना,कांगड़ा, और चम्बा जिले से कैबिनेट मंत्रियों से नवाजा हुआ है ,हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा दूसरा मंडी जिला से सरकार में किसी भी पद पर शामिल नहीं रखा है । कांग्रेस मंडी ,कुल्लू और लाहौल से सरकार में न कोई कैनीबेट मंत्री ,नहीं बोर्ड और निगमों में शामिल नेताओं को शामिल किया है।
प्रदेशाध्यक्ष के लिए ये नाम चर्चित
कांग्रेस की मजबूती के मंडी जिले का सबसे अधिक नाम प्रदेशाध्यक्ष के पद की जरूरत महसूस पार्टी के नेताओं और समर्थकों में होना शुरू हुई है । प्रदेशाध्यक्ष के लिए पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह, ,कुलदीप राठौर, विक्रमादित्य , संजय अवस्थी, अनिरुद्ध सिंह , आशा कुमारी, राम लाल ठाकुर, सोहन लाल ठाकुर, सुंदर ठाकुर, चंद्र शेखर ठाकुर ,विनोद सुल्तानपूरी, शामिल चर्चा में चल रहे हैं।
लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा अभी तक किसी के नाम पर कोई चर्चा नहीं की हुई है यह जानकारी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में शामिल वरिष्ठ नेता से जानकारी से प्राप्त हुई है।
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी तीन बार शून्य परिणाम पार्टी समर्थकों की कमी के कारण नहीं बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में बैठे नेताओं के आपसी समन्वय की कमी और राष्ट्रीय नेतृत्व के ढुलमुल रवैया से ऐसे परिणाम आना लाजमी है।
दिल्ली विधानसभान के 2020 के चुनाव में 4.26 प्रतिशत और 2025 में 6.35 प्रतिशत वोट मिले फिर भी कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व संतुष्ट दिखाईं दिया। कांग्रेस दिल्ली में सिर्फ चुनाव ही नहीं हारी बल्कि ‘शून्य’ सीटों पर सिमटने के साथ चंद सीटों को छोड़कर जमानत भी ना बचा सकी।
हिमाचल कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पिछले दो वर्षों से चल रही विपक्ष के मिशन लॉट्स योजना को मजबूती से ऐसा मुंह तोड़ जबाव दिया कि हिमाचल प्रदेश का विपक्ष मिशन लॉट्स का नाम तक नहीं ले पा रहा है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की व्यवस्था परिवर्तन करने वाली कांग्रेस सरकार ने आते ही प्रदेश की कमजोर आर्थिकी देखते हुए कई कड़े और एहम फैसले लिए गए, जिससे विपक्ष ही नहीं बल्कि कांग्रेस के कई कांग्रेस विधायकों ने भी भाजपा के मिशन लॉट्स में भरपूर सहयोग किया लेकिन मिशन लॉट्स में शामिल अपने पराए सभी को मुंह की खानी पड़ी और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मजबूती के साथ आगे बढ़े किए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि प्रदेश में अपनी कांग्रेस की सरकार को बचाने का कार्य किया।
कांग्रेस आलाकमान हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आई विपत्तियों को तब गंभीरता से लिया और समझा कि हिमाचल प्रदेश की अपनी ही कांग्रेस सरकार को गिराने में कौन कौन नेता और उनके सलाहकार शामिल रहे।
कांग्रेस आलाकमान ने सबसे पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भंग किया लेकिन प्रदेशाध्यक्षा को अकेले पद पर रखा । और एक साल बार कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला को बदल कर राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल को तीसरी बार पहली बार युवा कांग्रेस के चुनावों में अपनी जिम्मेवारी का निर्वाह तक किया जब पहली बार विक्रमादितीय और आर एस बाली के बीच प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव हुए और विक्रमादित्य का चुनावी परिणाम। अफ़ेमा एजेंसी द्वारा रद्द किया गया था। राजीव शुक्ला से पहले भी रजनी पाटिल हिमाचल कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेवारी संभाल चुकी है और एक बार फिर से हिमाचल कांग्रेस की सत्ता के दौरान पार्टी प्रभारी की जिम्मेवारी दी गई है।